Astro News: हिंदू धर्म में अक्सर किसी भी शुभ काम को करने से पहले भगवान श्री गणेश का नाम लेकर स्टार्ट किया जाता है। हम गणेश भगवान को गजानन के नाम से भी जानते हैं। जो भी भक्त भगवान गणेश जी की सच्ची श्रद्धा से पूजा करता है, उन्हें जीवन में कभी कोई परेशनी नहीं होती है। इसलिए भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहते हैं। गणेश जी को सुख—समृद्धि, बृद्धि व शुभ के देवता माना गया है। बुधवार का दिन गणेश जी के लिए बेहद ही खास माना गया है। लेकिन, क्या आपको मालूम है कि गजानन नाम के पीछे भी एक कहानी है और इस कहानी को तो बच्चा बच्चा जानता है। लेकिन उस कहानी में भी कुछ ऐसा है, जो उस कहानी को अलग तरह से दर्शाता है ।
भगवान गणेश का सिर हाथी का है, जबकि पूरा शरीर इंसान की तरह है। ये किस्सा सभी जानते हैं कि गणपति जी का सिर कटने के बाद उन्हें हाथी का सिर लगाया गया था। लेकिन इस बात से आप आज तक अवगत नहीं है कि गणेश जी का असली मस्तक कहां है और उसके पीछे का क्या रहस्य है। तो आईए जानते हैं उनसे जुड़ी पूरी कहानी।
हिन्दू मान्यता के मुताबिक, एक बार जब माता पार्वती स्नान करने गई हुई थी, तब उन्होंने बाहर पहरेदार के तौर पर अपने बेटे गणेश को सुरक्षा के तौर पर खड़ा किया था। माता पार्वती ने गणेश जी को कहा था कि अंदर आने की अनुमति किसी को भी ना दें। लेकिन गणेश जी ने जब भगवान शिव को अंदर जाने से रोका, तब भोलेनाथ गुस्से में आकर अपने ही बेटे का सिर काट दिया था। फिर उनको हाथी का सिर लगा दिया गया था। लेकिन आखिर वो सिर गया कहा तो जब वह सिर कटा वो सीधा जाकर एक गुफा में गिरा। ये जानकर आपको आश्चर्य जरूर होगा की एक रिपोर्ट के मुताबिक आज भी एक गुफा में मौजूद है। इस गुफा को ‘पटल भुवनेश्वर’ के नाम से जाना जाता है।
गणेश भगवान के सिर की रक्षा स्वयं भगवान शिव करते हैं। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति भगवान गणेश के इस अवतार की अर्चना करता है। वह अपने जीवन से अहंकार की भावना को हमेशा के दूर भगा सकता है। अपने जीवन में अहंकार से छुटकारा पा सकता है। भगवान गणेश के कटे शिलारूपी मूर्ति के ठीक ऊपर 108 पंखुड़ियों वाला शवाष्टक दल ब्रह्मकमल के रूप में एक चट्टान है। इस ब्रह्मकमल से भगवान गणेश के शिलारूपी मस्तक पर दिव्य बूंद टपकती है। कहते हैं कि यह ब्रह्मकमल भगवान शिव ने ही यहां स्थापित किया था।