नई दिल्ली। तेजी से डायबिटीज के पेशेंट की संख्या बढ़ती जा रही है। हर फैमिली में किसी न किसी एक व्यक्ति को डायबिटीज की बीमारी जरूर होती है। डायबिटीज की बीमारी जेनेटिक भी होती है, ऐसे में डायबिटीज ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक शरीर में शुगर की मात्रा लंबे समय से बढ़ने के चलते डायबिटीज की बीमारी होती है, इसका पता ब्लड चेकअप करवाने और विशेष लक्षणों से लगाया जा सकता है। डायबिटीज के लक्षण के संकेत में त्वचा का रंग बदलना, बार-बार पेशाब आना, पेशाब में बदबू, जल्दी जल्दी भूख लगना, नींद ना आना जैसे लक्षण शामिल है।
चिरायता के पत्ते
एनसीबीआई के मुताबिक चिरायता ब्लड शुगर लेवल को कम करने का काम करता है। दरअसल इसमें अमारोगेंटिन बायो एक्टिव कंपाउंड होते हैं, यह कंपाउंड anti-diabetic प्रभाव को दिखाते हैं यही कारण है कि डायबिटीज के मरीज के लिए यह इंसुलिन के रूप में काम करते हैं। चिरायता के पत्ते से लेकर इसके जड़ में कई तरह के औषधीय गुण होते हैं जिस के उपयोग से आयुर्वेद में लंबे समय से किया जा रहा है।
चिरायता का उपयोग बुखार, कब्ज, पेट संबंधी बीमारी, भूख की कमी, आंख में दिक्कत, त्वचा संबंधी समस्या, लीवर की सूजन, पेट की सूजन और कैंसर के लिए किया जाता है।
चिरायता के सेवन से स्ट्रोक हाई ब्लड प्रेशर, अस्थमा, डायबिटीज, बिच्छू के काटने पर उपयोग किया जाता है। चिरायता का जूस खाने से पहले 60ml चिरायता का जूस टॉनिक के रूप में किया जाता है। इसे गर्म पानी और लॉन्ग या फिर दालचीनी के साथ तैयार किया जाता है। आप इसे 1 बड़े चम्मच पी सकते हैं,
चिरायता का स्वाद
चिरायता का स्वाद कड़वा होने के कारण इसका सेवन आसानी से नहीं कर पाते हैं लेकिन यह जितना कड़वा होता है उतना ही रोगों से लड़ने में कारागार होता है। चिरायता में मौजूद एंटीवायरल गुण सेहत के लिए फायदेमंद होता है। चिरायता की जड़ से खांसी, बुखार और जुकाम से छुटकारा मिलता है।