Diwali 2022 Date, Puja Timings: दिवाली रोशनी का त्योहार है, यही नहीं दिवाली अंधेरे पर प्रकाश की जीत, बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को हर साल दिवाली का फेस्टिवल मनाया जाता है। इस साल दिवाली का त्योहार 24 अक्टूबर 2022 यानी आज मनाया जा रहा है। यह पांच दिवसीय उत्सव धनतेरस से शुरू होता है और भाई दूज के साथ संपन्न होता है। ऐसा कहा जाता है कि दीपावली के दिन ही पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम लंकापति रावण पर विजय प्राप्त करके अयोध्या लौटे थे, इसी के ख़ुशी में पूरे अयोध्या को दीयों से सजाया था। तभी से दिवाली का फेस्टिवल मनाया जाने लगा। तो आइए जानते हैं दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि।
Kajal Raghwani को बाहों में भरकर Pawan Singh ने तोड़ी रोमांस की सभी हदें, किसिंग सीन से मचा हड़कंप
जल्द ही लॉंच होने जा रहीं है माईलेज किंग Hero HF Deluxe, जाने क़ीमत
मात्र 17000 की कम क़ीमत पर घर ले जायें माईलेज किंग कहे जाने वाली Hero HF Deluxe, पढ़े पूरी जानकारी
दिवाली लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त
अंधेरी रात में Aamrapali को बाहों में दबोच कर Nirahua ने लिया ऐसा चुम्मा की गाल हुआ लाले लाल, वीडियो देख मचा बवाल
बेडरूम में बंद होकर Kajal Raghwani तो कभी Aamrapli संग Nirahua ने मनाया सुहागरात, लिया ऐसा चुम्मा नकल गई चीख
बीच सड़क पर Nirahua से चिपक कर Aamrapli ने किया खूब रोमांस, वीडियो ने मचाया बवाल
अमावस्या तिथि प्रारम्भ – 24 अक्टूबर 2022 को शाम 05:27 बजे शुरू होगी।
अमावस्या तिथि समाप्त – 25 अक्टूबर 2022 को शाम 04 बजकर 18 मिनट पर खत्म होगी।
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त शाम 06:54 बजे शुरू होता है और 09 :00 बजे समाप्त होता है।
प्रदोष काल – शाम 06 बजकर 10 मिनट से शाम 08 बजकर 39 मिनट तक रहेगा।
विभिन्न शहरों में पूजा मुहूर्त (Puja Muhurat in different cities)
07:23 से 08:35 बजे तक – पुणे
06:53 से 08:16 बजे तक – नई दिल्ली
07:06 से 08:13 बजे तक – चेन्नई
07:02 से 08:23 बजे तक – जयपुर
07:06 से 08:17 बजे तक – हैदराबाद
06:54 से 08:17 बजे तक – गुड़गांव
06:51 से 08:16 बजे तक – चंडीगढ़
06:19 से 07:35 बजे तक – कोलकाता
07:26 से 08:39 बजे तक – मुंबई
07:16 से 08:23 बजे तक – बेंगलुरू
07:21 से 08:38 बजे तक – अहमदाबाद
06:52 से 08:15 बजे तक – नोएडा
क्यों मनाई जाती है दिवाली?
आमतौर पर यह माना जाता है कि कई लोग इसे 14 साल के वनवास के बाद राम और सीता की वापसी की याद में मनाते हैं, वहीं अन्य लोग इस दिन 12 साल के कैनवास और अज्ञत्व के बाद पांडवों की वापसी की याद में मनाते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, दीपावली का उल्लेख सातवीं शताब्दी के संस्कृत नाटक नागानंद में दीपप्रतिपादुत्सव के रूप में भी किया गया है, जहां नवविवाहित दूल्हे और दुल्हन को उपहार दिए गए थे और भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के विवाह की याद में दीपक जलाए गए थे। लोकप्रिय किंवदंती के अनुसार, त्योहार कार्तिका अमावस्या पर यम और नचिकेता की कहानी से भी जुड़ा है।
दिवाली के दौरान लक्ष्मी और गणेश की भी पूजा की जाती है। पांच दिवसीय भव्य उत्सव धनतेरस, धन के त्योहार से शुरू होता है और इसके बाद दूसरे दिन नरक चतुर्दशी होती है। तीसरे दिन लोग दीपावली मनाते हैं और चौथे दिन दिवाली पड़वा, पति-पत्नी के बंधन को चिह्नित करते हुए मनाया जाता है। भाई दूज, जो भाई-बहन के रिश्ते को समर्पित है, त्योहार के अंत का प्रतीक है।
लक्ष्मी पूजन की सामग्री (Laxami Pujan Samagri)
दिवाली पूजा के लिए रोली, चावल, पान-सुपारी, लौंग, इलायची, धूप, कपूर, दीपक, नारियल, फल, फूल, मिठाई, मेवे, खील, बताशे, चौकी,फूलों की माला, शंख, लक्ष्मी-गणेश, थाली, चांदी का सिक्का, 11 दीपक, मां लक्ष्मी के श्रृंगार का सामान