Chanakya Niti: चाणक्य का कहना है कि जिनका जीवन अनुशासित होता है। सफलता उनके जीवन में जरूर मिलती है। मनुष्य का जीवन तभी सफल होता है। जब वह अपने काम और जिम्मेदारी के बीच में संतुलन बनाए रखता है। आचार्य चाणक्य का कहना है कि बुढ़ापा जीवन का एक ऐसा पड़ाव है, जहां हर व्यक्ति सुख एवं आराम की जिंदगी जीना चाहता है। चाणक्य ने यह बताया है कि इस पड़ाव में खुशियां और चैन पाने के लिए व्यक्ति को बुढ़ापे तक इन चीजों का साथ नहीं छोड़ना चाहिए। यही आपके बुढ़ापे में स्वस्थ एवं सुखी रहने में सहायता करती है।
धन-संपत्ति एक ऐसी चीज है, जो अपने और पराए के बीच का फर्क बताती है। जब तक आपके पास धन-संपत्ति है, तब सभी रिश्ते नाते आपके करीब होंगे। लेकिन जब भी धन का अभाव या कमी होगा आपका साथ सभी छोड़ देते हैं और आपके जीवन में दुख बढ़ जाती है।
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ढलती उम्र के साथ चाणक्य का कहना है कि धन का सदुपयोग करते हुए अपने बुढ़ापे के लिए पैसे की सेविंग करके रखनी चाहिए, ताकि भविष्य में आपको कभी भी किसी के सामने हाथ नहीं फैलाना चाहिए।
अनुशासन और अभ्यास से ही व्यक्ति के जीवन में आत्मविश्वास पैदा होता है। चाणक्य का कहना है कि जो लोग अपने काम को समय पर करते हैं। दिनचर्या को अनुशासित ढंग से जीते हैं, उन्हें कभी भी किसी के सामने पैसा के लिए हाथ फैलाने के अलावा किसी के ऊपर डिपेंडेंट होने की आवश्यकता नहीं होती है।
वह अपने लक्ष्य को किसी भी हालातों में पा लेते हैं चाणक्य का कहना है कि शुरुआत से ही जो व्यक्ति अपने काम को सही समय और सही तरीके से करता है। उसे बुढ़ापे में कभी भी तकलीफ नहीं होती है, साथ ही जो व्यक्ति खानपान समय पर सोना और अपने काम को निश्चित समय पर करता है, उसका स्वास्थ्य बहुत अच्छा होता है, मददगार चाणक्य का कहना है कि जो व्यक्ति निस्वार्थ भाव से किसी दूसरे का मदद करता है या किसी के परेशानी के वक्त साथ देता है। उसका बुढ़ापा सुख शांति के साथ बिकता है, उसके लिए मदद के दरवाजे हमेशा खुले हुए रहते हैं।