नई दिल्ली – महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी एनसीपी में टूट की घटना कोई 1 दिन का सदमा नहीं है। ना ही 1 दिन की कोई बात है। यह हमेशा चर्चा में आती रहेगी। इसकी नींव मार्च के महीने में ही रख दी गई थी। बीजेपी के कई सूत्रों से बात की गई। जिसमें पता चला कि लंबे समय से अजित पवार से बातचीत धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी। कुछ सूत्र यह भी दावा करते हैं इसकी शुरुआत मार्च से पहले ही हो गई थी। और 4 जून को मीटिंग भी हुई थी इसके बाद जून के मध्य में भी एक मीटिंग हुई थी। फिर 29 जून को अजित पवार ने एनसीपी से अलग होने पर अंतिम मुहर लगा दी थी। जिसके बाद से उनके शपथ ग्रहण की तैयारियां शुरू कर दी गई थी।
इसी साल अप्रैल के महीने में इस तरह की खबरें आने लगी है। कि अजित पवार ने अमित शाह के साथ एक बैठक की जिसकी बातें काफी चर्चा में रहे। और यह भी बताया गया कि अमित शाह के साथ सीक्रेट मीटिंग की गई।15 अप्रैल को अमित शाह मुंबई में ही थे। महाराष्ट्र की राजनीति में दोनों की मुलाकात को लेकर चर्चा चल रही थी।
हालांकि इसे लेकर किसी भी पक्ष की तरफ से पुष्टि नहीं की गई अजीत पवार ने इस संबंध में उनके गठबंधन की अन्य पार्टियों द्वारा सवाल भी किए गए लेकिन महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री ने तब इन बातों को अफवाह करार दिया था। नागपुर में एक रैली के दौरान अजीत पवार से खुले तौर पर अमित शाह से मुलाकात को लेकर सवाल किए गए इस पर उन्होंने आगे कहा था। कि मेरी मुलाकात कहां हुई आप ही बताइए सभी कयास निराधार हैं। जूनियर पवार ने मीडिया को यहां तक चला दी थी। कि वह लोगों को गुमराह मत करें उस वक्त तक MLA से एम एल ए BJP के संपर्क में थे।
सूत्रों के मुताबिक मई के महीने में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को भी इस चर्चा का हिस्सा बनाया गया। उन्हें आने वाले वक्त में महाराष्ट्र सरकार की कैबिनेट में विस्तार से भी अवगत कराया गया। 4 जून को शिंदे और देवेंद्र को दिल्ली आकर हमेशा से मीटिंग के लिए भी बुलाया गया था। दोनों अलग-अलग शहरों में थे। शिंदे पुणे और नागपुर दोनों को पकड़कर दिल्ली पहुंचाया गया। एकनाथ शिंदे थे।
जब इस मीटिंग के संबंध में सवाल किए गए तो उन्होंने मीडिया को सीधा जवाब देते हुए कहा कि जल मुद्दे और मराठा परियोजना के संबंध में कोई बातचीत नहीं हुई है। हमेशा से मुलाकात करने आए थे रोजाना दिल्ली आना होता है। मैं दिल्ली आता रहता हूं। और राज्य से जुड़े बहुत सारे मुद्दे हैं। जिस पर बात होती रहती है। भले ही वह मराठवाड़ा जल परियोजना हो या फिर कोई भी योजना हो किसानों की समस्या हो इसको लेकर हम गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करते रहते हैं।