देश में हर नौकरीपेशा व्यक्ति की सैलरी का कुछ हिस्सा हर महीने पीएफ खाते में जमा होता है। जिससे यहां पर इन पैसों को कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) द्वारा नियंत्रित किया जाता है। इसमें जमा पैसा ईपीएफओ की ओर से ब्याज दिया जाता है। जिसे सीधे सरकार तय करती है। तो वही अगर आप आयकर रिटर्न भरने जा रहे हैं, तो यह गलती मत करना वरना इनकम टैक्स का नोटिस आ सकता है।
बता दें कि ईपीएफओ ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अपने मेंबर्स के EPF अकाउंट में ब्याज के पैसा भेजना शुरू कर दिया है। जिसे लोग अपने खाते में चेक कर सकते हैं।
बता दें कि हर वित्त वर्ष में ब्याज देर से क्रेडिट होने से टैक्सपेयर्स को मुश्किल में डाल सकती है। क्योंकि यहां पर समझ नहीं आता कि इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) में इसे कैसे दिखाएं। जिससे सही जानकारी का होना आवश्यक है। कई बार देखने में आता है कि इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) और टैक्स डिपार्टमेंट के फॉर्म 26AS या एनुअल इन्फॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) में जानकारी मैच नहीं होती है, जिससे विभाग के ओर से एक नोटिस मिल सकता है। जिससे परेशानी से बचने के लिए आप यह काम कर सकते हैं।
EPF योगदान में टैक्स देनदारी
यदि किसी कर्मचारी का EPF योगदान एक वित्त वर्ष में ₹2.5 लाख से अधिक हो जाता है, तो बड़ी रकम मिलने वाला ब्याज टैक्से के दायरे में आता है। तो वही सरकारी कर्मचारियों के लिए सीमा ₹5 लाख है।
जिससे अमूमन खाता PAN से जुड़ा है, तो इस ब्याज पर 10% की दर से टीडीएस लगता है। हालांकि यहां पर पैन कार्ड नहीं लिंक होने पर यह दर 20% हो जाती है। यहां पर नियम यह भी है कि कुल टैक्सेबल ब्याज ₹5,000 से कम हो, तो टीडीएस नहीं काटा जाता है।
ITR और AIS में अंतर होने करें ये काम
बता दें कि EPFO ब्याज नए वित्त वर्ष में क्रेडिट करता है। जिससे वित्त वर्ष 2024-25 का ब्याज खाते में जमा किया जा रहा है। जिससे TDS भी उसी वर्ष लागू होता है। यदि टैक्सपेयर्स पासबुक की दर्ज जारकारी आधार पर पिछले साल की इनकम में उस ब्याज दिखा दिया जाता है, तो उसके अगले साल के ITR और AIS/26AS में अंतर दिख जाएगा।
इस कॉडिशन में टैक्सपेयर्स AIS में टैक्सपेयर्स यह फीडबैक दे सकता है कि संबंधित TDS पिछली साल की आय पर आधारित है और टैक्स पहले दिया गया है। EPFO अगर TDS की जानकारी नहीं सुधारेगा, तो सिस्टम में गलत इंन्ट्री रहेगी जिससे आप को टैक्स विभाग भेज सकता है।
