अगर आप भी प्राइवेट सेक्टर में काम करते हैं और कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) के तहत आपको या आपके परिवार के किसी सदस्य को पेंशन मिलती है, तो यह खबर आपके चेहरे पर मुस्कान ला देगी! करोड़ों प्राइवेट सेक्टर कर्मचारियों के लिए एक बहुत अच्छी खबर सामने आ रही है।
केंद्र सरकार कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) के तहत मिलने वाली न्यूनतम पेंशन राशि को बढ़ाने की तैयारी में है। सूत्रों और मनी कंट्रोल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अभी जो न्यूनतम पेंशन 1000 रुपये मिल रही है, उसे बढ़ाकर सीधा 3000 रुपये प्रति महीना करने का प्लान है। यह बढ़ोतरी अगले कुछ ही महीनों में लागू हो सकती है, ऐसी उम्मीद जताई जा रही है।
एक सरकारी अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया है कि न्यूनतम पेंशन की रकम को बढ़ाकर 3,000 रुपये प्रति महीना करने पर काम चल रहा है। आपको याद दिला दें कि केंद्र सरकार ने साल 2014 में ही EPFO सब्सक्राइबर्स की न्यूनतम पेंशन को 250 रुपये से बढ़ाकर 1,000 रुपये प्रति माह किया था।
समझें EPS का गणित:
- प्राइवेट नौकरी करने वालों की बेसिक सैलरी का 12% हिस्सा PF (कर्मचारी भविष्य निधि) खाते में जाता है।
- इतना ही हिस्सा कंपनी भी आपके PF खाते में जमा करती है।
- कंपनी जो पैसा जमा करती है, उसमें से 8.33% हिस्सा EPS (कर्मचारी पेंशन योजना) में जाता है, जबकि बचा हुआ 3.67% हिस्सा EPF (कर्मचारी भविष्य निधि) में रहता है।
- EPS में जमा हुआ यही पैसा रिटायरमेंट के बाद आपको पेंशन के तौर पर हर महीने मिलता है।
₹2000 का प्रस्ताव पहले भी था, मांग ₹7500 की है
ऐसा नहीं है कि पहली बार पेंशन बढ़ाने की बात हो रही है। साल 2020 में श्रम मंत्रालय ने पेंशन की न्यूनतम रकम को 2,000 रुपये प्रति माह करने का प्रस्ताव वित्त मंत्रालय को भेजा था, लेकिन तब उसे मंजूरी नहीं मिल पाई थी।
वहीं, दूसरी तरफ, संसद की एक समिति ने हाल ही में सिफारिश की थी कि प्राइवेट सेक्टर की न्यूनतम पेंशन 1,000 रुपये से काफी कम है और इसे बढ़ाकर कम से कम 7,500 रुपये प्रति माह किया जाना चाहिए। ट्रेड यूनियनें और पेंशनर्स के संगठन भी लंबे समय से यही मांग कर रहे हैं कि बढ़ती महंगाई को देखते हुए पेंशन कम से कम 7,500 रुपये महीना हो, क्योंकि पिछले 11 साल से न्यूनतम पेंशन में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
अगर 3000 रुपये करने का फैसला हकीकत बनता है, तो यह उन लाखों पेंशनर्स के लिए एक बड़ी राहत होगी जिनकी पेंशन अभी बेहद कम है और घर चलाना मुश्किल हो रहा है। अब देखना होगा कि सरकार कब तक इस पर फाइनल फैसला लेती है और यह बढ़ोतरी कब से लागू होती है।