नई दिल्ली PPF vs VPF Scheme: आने वाले समये के लिए सेविंग की बात आती है तो पीपीएफ और वीपीएफ का नाम आता है। ये दो ऐसी स्कीम हैं जिनका जिक्र हर कोई करता है। ये निवेश स्कीम सेफ्टी के साथ में लंबे सम के लिए निवेश का ऑप्शन देती है। लेकिन वह अपनी विशेषताओं के साथ में आती हैं। ये दोनों स्कीम निवेशकों की सभी जरुरतों को पूरा भी करती हैं।
पीपीएफ और वीपीएफ के बीच में समानताएं
पीपीएफ और वीपीएफ में काफी सारी समानताएं हैं जो कि उनको सेविंग के लिए आकर्षक बनाती हैं। दोनों स्कीम भारत सरकार की समर्थिक स्कीम हैं। इन स्कीम में निवेश की गई पूंजी के लिए ज्यादा सेफ्टी देती हैं।
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इसके अलावा पीपीएफ और वीपीएफ दोनों में निवेश इनकम टैक्स अधिनियम की धारा 80सी के तहत कर की कटौती के लिए योग्य हैं। दोनों स्कीम्स से कमाया गया ब्याज और मैच्योरिटी की रकम को भी छूट दी गई हैं। इसमें ट्रिपल ई के साथ में टैक्स बेनिफिट मिलता है।
एक और साधारण विशेषता ये है कि पीपीएफ और वीपीएफ दोनों में लंबा निवेश का ऑप्शन देती है। पीपीएफ में 15 साल का लॉकइन समय होता है, जिसे 5 सालों का ब्लॉक में बढ़ाया जा सकता है। दूसरी तरफ वीपीएफ कंट्रीब्यूशन तक जारी रहता है। जब तक निवेशक रिटायर नहीं हो जाता है या फिर संगठन से इस्तीफा नहीं दे देता है।
कौन सा ऑप्शन है बेहतर
दोनों स्कीम में समानता होने के बावजूद पीपीएफ और वीपीएफ में अलग-अलग अंतर होता है जो कुछ निवेशकों के लिए एक को दूसरे की तुलना में ज्यादा उपयुक्त बना सकते हैं। पीपीएफ पर ब्याज दर सरकार के द्वारा तिमाही में तय की जाती है और अप्रैल जून तिमाही के लिए 7.1 फीसदी है। वीपीएफ दरें ईपीएफ के अनुरूप हैं जो कि इस समय 8.5 फीसदी है।
पीपीएफ में एक शक्स साल में 1.5 लाख तक का निवेश कर सकता है। इसके विपरीत वीपीएफ का कंट्रीब्यूशन काफी लचीला है, और कर्मचारी वीपीएफ में अपनी मूल सैलरी और डीए का 100 फीसदी तक का योगदान कर सकते हैं।
इन सभी बातों के साथ में वीपीएफ उन लोगों के लिए एक बेहतर ऑप्शन हो सकता है, जो कि ज्यादा दरों की खोज में हैं और जो पीपीएफ के लिए तय सीमा से ज्यादा निवेश करना चाहते हैं। बहराल नियोक्ता से बंधे बिना एकल निवेश का ऑप्शन चाहने वालों के लिए पीपीएफ पसंदीदा ऑप्शन हो सकता है।