नई दिल्ली: सरकारी या प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों की बात करें तो लम्बे समय तक काम करने को लेकर फायदा मिल जाता है। आप ये बात जानते हैं कि एलिजिबल होने के बाद भी कुछ वजह से इसका फायदा नहीं मिल जाता है। गौरतलब है कि जिन कंपनियों में 10 से अधिक कर्मचारी कार्य कर रहे हैं। उन्हें ग्रेच्युटी एक्ट 1972 के तहत अपने सभी इंप्लाइज को ग्रेच्युटी की जरुरत पड़ जाती है।
अगर किसी कंपनी में कर्मचारी को अधिक नुकसान होता है तो इसकी वजह से कई तरह से कर्मचारियों पर इसका असर पड़ना शुरु हो जाता है। तो ऐसे में नियोक्त इसकी भरपाई की बात करें तो ग्रेच्योटि से करने के बाद फायदा ले सकते हैं।, गलत व्यवहार करने पर या गलत जानकारी देने पर अगर आपको कंपनी से निकालने का फैसला लिया जा सकता है तो आप ग्रेच्युटी के हकदार नहीं कहे जाएंगे।
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कंपनी के अधिकार को लेकर जानें अहम बात
कर्मचारियों की रक्षा करने को लेकर ग्रेच्युटी एक्ट 1972 लाया गया है जिसकी वजह से उनको कोई नुकसान नहीं हो सके। ऐसे में कंपनी केवल मौखिक रूप से बोलकर ही कर्मचारियों के ग्रेच्युटी को लेकर रोक लगाया जाता है। इसके लिए उन्हें एक वैलिड कारण देने की जररत होती है।
पहले नोटिस जारी करना भी होता है अहम
ग्रेच्युटी एक्ट 1972 के सेक्शन 4(6)(b)(ii) के अनुसार अगर किसी कंपनी की तरफ से ग्रेच्युटी जारी किया जाती कंपनी को जानकारी देना भी अहम हो जाता है। किसी कर्मचारी को ग्रेच्युटी के पैसे को रोकना शुरु कर देता है। तो उसे सबसे पहले कर्मचारी को नोटिस जारी करके इसके बारे में जानकारी साझा करना भी अहम हो जाता है।
क्या होती है ग्रैट्योयिटी
हर कर्मचारी की सैलरी का एक हिस्सा ग्रैच्युटी और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन को लेकर काटा जाता है। ग्रैच्युटी के लिए एक छोटा हिस्सा कर्मचारी तो बड़ा हिस्सा नियोक्ता यानी एम्प्लॉयर को देना अहम हो जाता है।