नई दिल्लीः साल 2000 में केंद्र की अटल बिहार वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद पेंशन देने के प्रावधान को खत्म कर दिया था। सरकार के इस फैसले से देशभर के कर्मचारियों को एक बड़ा झटका लगा था। कर्मचारियों के संगठन तभी से पेंशन बहाली को लेकर मांग करते हैं, जिनका असर कुछ राज्यों में देखने को मिला हैं।
कुछ जगह पुरानी पेंशन बहाल करने का फैसला लिया गया है। अब केंद्रीय कर्मचारी भी पुरानी पेंशन को लागू करने की लगातार मांग कर रहे हैं। अब माना जा रहा है कि मोदी सरकार पुरानी पेंशन बहाली को लेकर कोई चौंकाने वाला ऐलान कर सकती है। वैसे आधिकारिक तौर पर सरकार ने अभी ऐसा आदेश नहीं दिया है, लेकिन मीडिया की खबरों में यह बड़ा दावा किया जा रहा है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार इस पर मंथन कर सकती है। अगर पुरानी पेंशन को बहाल किया जाता है तो कर्मचारियों के एक बड़े वर्ग को बंपर फायदा देखने को मिलेगा।
वहीं, इससे पहले संसद के बीते सत्र में वित्र राज्य मंत्री भागवत कराड ने पेंशन बहाली को लेकर अपना रुख साफ किया कर दिया था। इस दौरान उन्होंने कहा था कि केंद्र की तरफ से ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने पर विचार नहीं किया जा रहा। चुनावों में जिस तरह विपक्ष की ओर से मुद्दे को उठाया जा रहा है, उससे लगता है कि आने वाले दिनों में इस पर कोई सकारात्मक निर्णय हो सकता है।
- जानिए पेंशना योजना क्या है
नई पेंशन योजना को राष्ट्रीय पेंशन योजना के नाम से जाना जा रहा है। इसमें केंद्रीय कर्मचारियों की बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते का 10 फीसदी हिस्सा काटा जा रहा है। एनपीएसशेयर बाजार की चाल पर निर्भर करता है। 60 वर्ष की उम्र के बाद पेंशन पाने के लिए एनपीएस फंड का 40 प्रतिशत निवेश करने की जरूरत होती है। आपको 60 प्रतिशत पैसे में से पेंशन मिलती है. योजना में रिटायरमेंट के बाद पेंशन की गारंटी नहीं है।