नई दिल्ली Fixed Deposit Interest Rate: आरबीआई के द्वारा 8 दिसंबर को मॉनेटरी पॉलिसी की बैठक में लगातार 5वीं बार रेपो रेट को स्थिर रखने का फैसला लिया है। इससे पहले रेपो रेट में फरवरी में बदलाव हुआ था। जब इसको 6.25 फीसदी से बढ़ॉाकर 6.5 फीसदी कर दिया था। तब बैंकों ने भी अपनी एफडी स्कीम के रेट्स में इजाफा कर 2.5 फीसदी के करीब नहीं रहा है। बहराल RBI ने ब्याज दरों में कमी के बारे में चिंता जलाई थी।
लिक्विडिटी की कमी से बैंक जूझ रहे
RBI के कंसर्न के बावजूद रेट्स में इजाफा क्यो हुआ है। इसका कारण बैंकों में लिक्विडिटी की कमी और हायर क्रेडिट ग्रोथ है। जिस कारण से शॉर्ट टर्म में दरों के इजाफा के रूप में सामने आई है। RBI के आकंड़ों के अनुसार, 21 नवंबर को बैंकों को इंटरबैंक बाजार या केंद्रीय बैंक के उधार लेने के लिए 1.74 लाख करोड़ रुपये की जरूरत थी।
जानकारी के लिए बता दें जब बैंकों की शॉर्ट टर्म क्रेडिट की जरुरत ज्यादा होती है तो इससे बैंक की ब्याज दर और जमा की दर में इजाफा करने के लिए मजबूर हो जाते हैं। लिक्विड की संकट की वजह से मनी मार्केट में मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी रेट 6.75 फीसदी के आसपास घूम रही है। असल में मार्जिनल स्टैंडिंग सुविधा बैंकों को रेपो रेट से ज्यादा ब्याज दर पर पैसा उधार लेने की परमीशन देता है।
काफी बार बैंक ने शॉर्ट टर्म ब्याज दर को बढ़ाया है?
काफी सारे बैंकों ने अपनी मैक्जिमम ब्याज दर को बढ़ाना बंद कर दिया है। जबकि कुछ अभी भी शार्ट टर्म एफडी पर अपनी ब्याज दरें बढ़ा रहा है। पीएनबी ने 180 दिन से 270 दिन के टैन्योर पर एफडी पर ब्याज 5.5 फीसदी से बढ़ाकर 6 फीसदी, 271 दिन से 1 साल से कम अवधि पर 5.8 फीसदी से 6.25 फीसदी तक बढ़ा दिया है।
इंडियन ओवरसीज बैंक ने 1 साल से 2 साल से कम समय के लिए अपनी एफडी ब्याज दर 6.50 फीसदी से बढ़ाकर 6.80 फीसदी कर दिया गया है। वहीं 4 दिसंबर को बैंक ऑफ इंडिया ने 46 दिनों से 90 दिनों की कम समय वाली 2 करोड़ रुपये से ज्यादा की एफडी पर दरें बढ़ाकर 5.25 फीसदी कर दिया है।
लॉन्ग टर्म में कर होती है ब्याज दर
बहराल इस बारे में ज्यादा अनिश्चिताता हो सकती है कि दरें कब गिरनी शुरु होंगी। लेकिन मैक्रो इंडिकेटर दिखाते हैं कि ये दरें कटौती के लिए आधार मजबूत हो रहे हैं। मुद्रास्फीति मुख्य रूप से कच्चे तेल की कीमतों के कारण थी। जो कि काफी कम हो गई है। रूस यूक्रेन के बाद मई 2022 में देखी गई 115 डॉलर बैरल से डब्ल्यूटीआई कच्चे तेल के प्राइस में कमी आई है। सितंबर 2023 में ये कम समय के लिए बढ़ा और 91 डॉलर प्रति बैरल तक आ गया है। लेकिन तब से ये काफी कम होकर 73 डॉलर प्रति बैरल से कम आ गया है।