नई दिल्ली Apple Price: अमेरिकी सेब पर 20 फीसदी रिटेलटरी टेरिफ सीमा को शुल्क हटाने के फैसले से देश के किसानों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। एक बुजुर्ग सरकारी अधिकारी ने सोमवार को ये बात कही और जानकारी दी है अगर असका कोई प्रभाव पड़ता है तो सरकार के पास प्रोडक्शन को समर्थन देने के लिए पर्याप्त गुंजाइश है। कॉमर्स डिपार्टमेंट में अतिरिक्त पीयूष कुमार कहते हैं कि देश में इस शुल्क को हटाकर कुछ भी अधिक नहीं हो रहा है और ऐसा नहीं है कि हमने अमेरिकी सेबों के लिए अपने दरवाजे पूरी तरह से ओपन किए हैं।
इसके बाद उन्होंने कहा कि असल में देश के लिए ये अच्छा सौदा है, क्यों कि इसके बदले में अमेरकी मार्केट में घरेलू इस्पात और एल्यूमीनियम उत्पादों को मार्केट में पहुंच जाएगी। इस उत्पादों का निर्यात 2018 में अमेरिका के हाई शुल्क लगाने से प्रभावित हुआ था। मोदी ने हालिया अमेरिकी यात्रा के समय दोनों देश डब्ल्यूटीओ के 6 विवादों को खत्म करने और अमेरिका के उत्पादों पर रिवेंज के तौर पर लगाए गए शुल्क को हटाने के लिए सहमत हुए थे।
इसे भी पढ़ें- Hero Splendor Electric ने किया सबको हैरान, देती है स्कूटर से ज्यादा रेंज
इसके बाद कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक ट्वीट कर आरोप लगाया है कि पीएम नरेंद्र मोदी ये चाहते हैं कि सेब देश में निवेश करें लेकिन क्या उनको हिमाचल प्रदेश के एप्पल प्रोड्यूशन की परवाह है। उन्होंने अमेरिकी सैब पर आयात शुल्क में कटौती करके हिमाचल में अपनी चुनावी हार का बदला ले लिया है। देश ने इससे पहले कभी भी इतना तंगदिल पीएम नहीं देखा है।
इसे भी पढ़ें- ‘’शर्ट लेकर वेस्टइंडीज आ जाना’’, ईशान किशन ने शुभमन गिल से ऐसा क्यों कहा?
वहीं भारत चना, दाल और सेब समेंत 8 अमेरिकी उत्पादों पर रिटेलेटरी इम्पोर्ट ड्यूटी को खत्म करेगा। कुमार कहते हैं कि शुल्क हटाने से देश के किसानों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। क्यों कि सेब पर आयात शुल्क अभी भी 50 फीसदी है। अमेरिका से सेब का आयात 2018-19 में 14.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर से कम होकर 2022-23 में सिर्फ 52.7 लाख अमेरिकी डॉलर रह गया था। इससे पता चलता है कि अमेरिकी सेब पर रिटेलेटरी इम्पोर्ट ड्यूटी लगाने की वजह से मार्केट की साझेदारी कम हो गई है।