नई दिल्ली Higher Pension: अगर आप ईपीएफओ सब्सक्राइबर्स हैं तो ये खबर आपके लिए बेहद खास हो सकती है। जानकारी के लिए बता दें ईपीएफओं की हायर पेंशन चुनने की डेडलाइन काफी करीब आ गई है। लेकिन ये उन लोगों के लिए जी का जंजाल बन गई हैं। इसका मुख्य कारण है कि इसमें काफी बातें साफ नहीं हुई है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने सब्सक्राइबर्स के हित में फैसला किया है। लेकिन हर कोई अश्वस्त नहीं है। हायर पेंश के रास्ते में अधिकारियों ने कई रोड़े लगे हैं। सब्सक्राइबर्स को डर है कि वे भविष्य में भी ऐसा कर सकते हैं। उनकी चिंता खासकर पेंशन कैलकुलेशन के मेथड़ पिछली तारीख से होने वाले बदलाव को लेकर है। चलिए ये जानते कि हायर पेंशन के बदलाव से लोगों पर क्या प्रभाव पड़ सकता है। बता दें हायर पेंशन चुनने की डेडलाइन 26 जून है।
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फटाफट जानें नया फॉर्मूला
आपको बता दें EPS 95 के तहत इसका नया फॉर्मूला इस तरह है। मंथली पेंशन = पेंशनेबल सर्विस*पेंशनेबल सैलरी /70 है। यानि कि जिस मेंबर की पेंशनेबल सर्विस और पेंशनेबल सैलरी ज्यादा होगी। उसकी पेंशन भी अधिक होगी। पेंशनेबल सर्विस हर एक पीरियड में समान रहेगा। लेकिन पेंशनेबल सैलरी को बदला जा सकता है। यदि EPFO को कोई बदलाव करता है और इससे पेंशनेबल सैलरी भी कम हो सकती है तो मेंबर को काफी कम पेंशन मिलेगी। 1 सितंबर 2014 से पहले पेंशनेबल वेतन की गणना बीते 12 महीने की एवरेज वेतन के बेस पर दी जाती थी। लेकिन बाद में इसे बदल दिया गया है। हायर पेंशन के आवेदन करने के लिए मेंबर्स के लिए यही फॉर्मूला है। इसको लेकर EPFO ने एक सर्कुलर जारी कर दिया है। लेकिन अभी ये नहीं समझ आ रहा है कि पेशन की कैलकुलेश कैसे होगी।
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क्या EPFO फॉर्म्यूले में हो सकता है बदलाव
जब लोग अपने करियर में आगे जाते हैं तो उनके वेतन में भी इजाफा होता है। यानि कि किसी भी आखिरी साल की एवरेज सैलरी को पेशनेबल सैलरी माना जाए तो उसे अधिक पैसा मिलेगा। यदि एवरेज सैलरी निकालने की अवधि को आगे बढ़ाया जाता है। तो उसे कम पेंशन मिलेगी। इस समय के फॉर्मूले में बीते 60 महीने की एवरेज सैलरी के आधार पर पेंशनेबल सैलरी की गणना की जाती है। सब्सक्राइबर्स को लगता है कि हायर पेंशन के लिए आवेदन करते हैं तो उनको इसी फॉर्मूले के आधार पर वेतन मिलेगा। वहीं यदि फॉर्मूला बहदला जाता है तो सब्सक्राइबर्स को तगड़ा नुकसान होगा।
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सवाल ये है कि क्या EPFO आने वाले समय में पेंशन के फॉर्मूले को बदल सकता है। केएस लीगल एंड एसोसिएट्स में मैनेजिंग पार्टनर सोनम चांदवानी कहते हैं ईपीएफओ एक्ट 1952 की धारा 7 के मुताबिक किसी नियम में पिछली तारीख से बदलाव किया जा सकता है। कुछ लोगों को कहना है कि इशके लिए सरकार को नया कानून बना पड़ेगा। वहीं रामचंदानी ने कहा कि EPS स्कीम में कोई भी बदलाव कानून में संशोधन से ही किया जा सकता है। पहले जब फॉर्मूले में बदलाव किया गया था। तो इसे कोर्ट में चुनौती दी गई थी। लेकिन कोर्ट ने इस बदलाव को सही ठहराया था।