नई दिल्ली Senior Citizen Investment Scheme: देश में बैंकिंग और सेविंग के तरीके में काफी बदलाव देखने को मिल रहे हैं। इसमें खासतौर पर बुजुर्गों के टर्म डिपॉजिट के क्षेत्र में हाल के आंकड़ों से पता लगता है कि हर एक डिपॉजिट औसत टिकट साइज 39 फीसदी से बढ़कर फाइनेंस ईयर 24 में 4.6 लाख रुपये हो गया है, जो कि 5 साल पहले 3.3 लाख रुपये था। ये बुजुर्ग लोगों के बीच में सेविंग के बदलते पैटर्न का प्रमाण है।
एसबीआई की रिपोर्ट में काफी सारी जानकारी दी गई हैं। बुजुर्गों के द्वारा रखे गए एफडी का भाग बीते 5 सालों में दोगुना कर दिया गया है। जो कि फाइनेंशियल ईयर 24 से 30 फीसदी तक पहुंच गया है।
एफडी में बुजुर्गों को कितना होगा लाभ
बता दें ये बढ़ोतरी सिर्फ फीसदी में ही नहीं बल्कि पूरी संख्या में भी हैं, फाइनेंशियल ईयर 24 में सीनियर सिटीजन के पास 7.4 फीसदी एफडी खाते थे, जो कि फाइनेंशयल ईयर 19 में 4.1 करोड़ से ज्यादा का था।
इस कदम के पीछे काफी सारे कारक हैं। वहीं हायर दरें बुजुर्गों के लिए ज्यादा पर्याप्त ब्याज दर फर्क और एसबीआई की वी-केयर जैसी स्पेशल जमा स्कीम ने इसमें काफी कंट्रीब्यूशन दिया है।
इसके अलावा सरकार की पहल ने आरबीआई के द्वारा किसी भी ब्याज दर की कटौती से पहले बुजुर्गों को अपनी जीवन भर की सेविंग रखने के लिए प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भुमिका निभाई है।
आज ज्यादातर बुजर्ग जमा रकम पर 7 फीसदी से 7.75 फीसदी तक का ब्याज देता है, जो कि समय के मुताबिक है, स्पेशल रूप से बुजुर्गों को 50 से 75 बीपीएस दर के साथ में इस प्रोत्साहन की वजह न सिर्फ खातों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। बल्कि जमा रकम में भी बढ़ोतरी हुई है। करीब 7.3 करोड़ खाते 15 लाख रुपये तक के आकार के ब्रैकेट में आते हैं।
वहींं इन खातों से कुल एफडी रकम 34 लाख करोड़ रुपये का अनुमान है, जो कि रकम में 150 फीसदी की बढ़ोतरी और 6 सालों में खातों की संख्या में 81 फीसदी की बढ़ोतरी को दर्शाता है। इस इजाफे को सरकारी नीतियों के द्वारा और बढ़ावा मिला है।
वहीं बुजुर्गों के लिए सोर्स पर कटौती की लिमिट को बढ़ाकर 50 हजार रुपये करना और सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम जैसी सहायत स्कीम को लागू करना है।
एससीएसएस में 5 सालों में 30 लाख रुपये जमा कर सकते हैं। इसमें 8.2 फीसदी का ब्याज, लाभ और सुरक्षित निवेश मिलता है। अकेले एससीएसएस के तहत बाकी रकम इस फाइनेंशियल की पहली छमाही में 1.62 लाख करोड़ रुपये थी, जो भी फाइनेंशियल ईयर 14 के बाद बढ़ोतरी दिखाती है।