Business Idea: मक्के की गंगा-5 किस्म मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा के किसानों के लिए बहुत उपयुक्त है। इस किस्म पर मौसम का कोई प्रभाव नहीं पड़ता. इसके पौधे मजबूत होते हैं. इस मक्के के दाने पीले रंग के होते हैं. यदि इस किस्म के मक्के की बुआई समय पर की जाए तो उत्पादन 50 से 55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता है. मक्के की इस किस्म को तैयार करके कम सिंचाई में भी अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है.
मक्का की संकर किस्म पार्वती को अगेती और पछेती दोनों मौसमों में बोया जा सकता है। यह फसल 90 से 100 दिन में तैयार हो जाती है. यह किस्म प्रति हेक्टेयर 45 से 50 क्विंटल तक उत्पादन देती है. यह राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात के किसानों को अच्छा उत्पादन देता है।
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मक्के की पूसा हाइब्रिड-1 किस्म 80 से 50 दिन में पक जाती है. मक्के की इस किस्म की पैदावार लगभग 55 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है. तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में यह किसानों की पहली पसंद है।
मक्के की शक्तिमान किस्म अपनी अधिक पैदावार के कारण किसानों की पहली पसंद है. यह 90 से 110 दिन में तैयार हो जाता है. यह किस्म प्रति हेक्टेयर 60 से 70 क्विंटल तक उत्पादन देती है. यह किस्म अधिकतर मध्य प्रदेश और राजस्थान में उगाई जाती है.
मक्के की शक्ति-1 किस्म प्रति हेक्टेयर 55 से 60 क्विंटल तक उत्पादन देती है. यह किस्म 95 दिन में पक जाती है. लोग इस मक्के को खाना बहुत पसंद करते हैं. जिसके कारण यह भारत के अधिकांश क्षेत्रों में उगाया जाता है। इसमें पोषण भी अधिक होता है.