नई दिल्ली: Gratuity Calculation formula. सरकारी या प्राइवेट सेक्टर में काम कर रहे कर्मचारियों को ग्रेच्युटी का इंतजार रहता है, जिससे कर्मचारियों को इसका इंतजार रहता है। आमतौर पर ये रकम नौकरी छोड़ने पर या रिटायरमेंट के समय पर दी जाती है। जिससे इसका इंतजार सबको रहता है।
ध्यान देने वाली बात यह है, ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट 1972 के नियमों (Gratuity Act 1972) में जिक्र किया गया है, जिससे यदि कोई किसी कंपनी में लगातार 5 साल की नौकरी पूरी चुका हो तो इसे कंपनी की ओर से ग्रेच्युटी की रकम प्राप्त करने के हकदार हो जाते हैं। जानकारी के लिए आप को बता दें कि ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट के तहत इसके दायरे में वो कंपनियां आती हैं, जिसमें 10 या उससे अधिक कर्मचारी काम करते हों।
क्या होती है ग्रेच्युटी की रकम
दरअसल आप को बता दें कि ग्रेच्युटी वो रकम होती है जो किसी कंपनी द्वारा कर्मचारियों को लंबे समय तक उस कंपनी में काम करने और यहां पर बेहतर सेवाओं के लिए रिवॉर्ड के तौर पर रकम दी जाती है। रकम नौकरी छोड़ने पर या रिटायरमेंट के समय पर दी जाती है।
जिससे यहां पर जरुर जानना चाहते होगें कि यहां पर आप किसी कंपनी में 5, 7 या 10 साल तक लगातार नौकरी की है, तो आप कितनी ग्रेच्युटी मिलने के हकदार होते है।
जानिए कितने सालों कितनी मिलती है ग्रेच्युटी
यहां पर उदाहरण के तौर पर मान लेते हैं, कि लीजिए किसी कर्मचारी ने किसी कंपनी में 5 साल काम किया, जिससे यहां पर अंतिम सैलरी 35,000 रुपए थी, तो फॉर्मूले के हिसाब से (35000) x (5) x (15/26) = 1,00,961 रुपए आपकी ग्रेच्युटी की रकम बनेगी।
तो वही अगर किसी कर्मचारी ने किसी कंपनी में 7 साल तक काम किया और अंतिम सैलरी 50,000 रुपए थी, तो कैलकुलेशन का फॉर्मूला होगा (50000) x (7) x (15/26) = 2,01,923 रुपए ग्रेच्युटी पाने के हकदार होगें।
इसी तरह कोई कंपनी लगातार 10 सालों तक नौकरी करता हैं, तो सैलरी 75000 रुपए थी। ऐसे में फॉर्मूले के हिसाब से कैलकुलेट करेंगे तो (75000) x (10) x (15/26) = 4,32,692 रुपए आपको ग्रेच्युटी मिलेगी।
जानिए किस फॉर्मूले से तय होती है ग्रेच्युटी
अगर आप किसी कंपनी में काम कर रहे हैं, तो यहां पर जरुर जानना चाहते होगें कि आखिर किस फॉर्मूले से ग्रेच्युटी तय होती है। यहां पर फॉर्मूले कैलकुलेट करने का एक फॉर्मूला में (अंतिम सैलरी) x (कंपनी में कितने साल काम किया) x (15/26) है। यहां पर अंतिम सैलरी से मतलब, आपकी पिछले 10 महीने की सैलरी के औसत से है। जिसमें सैलरी में मूल वेतन, महंगाई भत्ता और कमीशन को शामिल किया जाता है।