इस ग्रह के नाम से लोग डर जाते हैं, लेकिन कुंडली के प्रथम भाव मौजूदगी बनाता है प्रभावशाली

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Santy

राहु ऐसा ग्रह है, जिसका रूप अलग-अलग स्थान पर बदल जाता है। यदि कुंडली के प्रथम भाव में राहु (Rahu) है, तो जातक प्रभावशाली व्यक्तित्व का होता है। हालांकि वह स्वार्थी स्वभाव का हो सकता है। ऐसा व्यक्ति अपना काम निकालना जानता है। वैसे सभी ग्रहों का जीवन पर शुभ व अशुभ दोनों प्रभाव पड़ता है, इसलिए पहले भाव में भी हमें इस ग्रह का यह रूप दिख सकता है। ज्योतिष शास्त्रों में राहु (Rahu) ग्रह को क्रूर और मायावी भी बताया गया है। कुंडली में राहु के अशुभ स्थान पर होने से व्यक्ति मानसिक तनाव और आर्थिक परेशानी से जूझता रहता है।

राहु के प्रथम भाव में शुभ-अशुभ लक्षण

कुंडली के पहले भाव में राहु के कारण व्यक्ति के मन में बहुत जल्द सफल होने का लोभ पैदा हो सकता है, इससे बचें।

इस तरह का व्यक्ति प्रतिस्पर्धी स्वभाव का होता है।

ऐसा व्यक्ति किसी भी नए कार्य को करने का साहस रखता है, यानि किसी काम को लेकर उसे घबराहट नहीं होती।

ऐसा व्यक्ति अपना लक्ष्य हासिल करने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार होता है।

इस तरह का व्यक्ति मनोनुकूल कार्य नहीं होने पर तत्काल विरोध करता है।

ऐसा व्यक्ति अनैतिक कार्य, नशा आदि से भी ग्रस्त हो सकता है।

ऐसा व्यक्ति किसी बड़ी बीमारी का शिकार भी हो सकता है।

ऐसा व्यक्ति कम समय और कम मेहनत कर ज्यादा पाने की लालसा रखता है।

राहु का दुष्प्रभाव दूर करने के उपाय

जिस व्यक्ति की कुंडली के प्रथम भाव में राहु हैं, उसे अपनी वाणी और बोली को संयमित रखना चाहिए।

कोई भी बात बोलने या करने से पहले अच्छी तरह सोच-विचार कर लेना चाहिए, अन्यथा नुकसान हो सकता है।

ऐसे व्यक्ति को हमेशा अपने माता-पिता का पूरा ख्याल रखना चाहिए और उन्हें आदर सम्मान देना चाहिए।

कभी भी दान या उपहार में नीले रंग के वस्त्र या कोई सामग्री नहीं लेनी चाहिए।

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