Kitchen Vastu Tips: महिलाएं अपना ज्यादा से ज्यादा समय किचन में बिताती हैं। लेकिन अगर जाने-अनजाने में हमसे कोई गलती हो जाए तो यह हमारे जीवन में बहुत सारी परेशानियां ला सकती है।
अगर हम किचन से जुड़ी छोटी-छोटी बातों पर ध्यान नहीं देते हैं तो इसका असर हमारी जिंदगी पर पड़ता है।
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वास्तु से जुड़ी कुछ ऐसी गलतियों के कारण हमारी सेहत खराब हो सकती है, आर्थिक परेशानियां आ सकती हैं और पति-पत्नी के रिश्ते में भी कड़वाहट आ सकती है।
वास्तु से जुड़ी गलतियों के कारण कई ऐसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। आइए ज्योतिषी एवं वास्तु विशेषज्ञ डॉ. आरती दहिया से जानते हैं कि वास्तु के अनुसार किचन में क्या करें ताकि घर में समृद्धि बनी रहे और धन की वर्षा हो।
1.खाना बनाते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। इसका मतलब यह है कि किचन की शेल्फ जिस पर हम गैस स्टोव रखते हैं इस दिशा में होनी चाहिए कि जब हम खाना बनाएं तो हमारा मुख पूर्व दिशा की ओर हो।
इसे आप रसोईघर के आग्नेय कोण यानि रसोईघर की दक्षिण-पूर्व दिशा में रख सकते हैं। यदि आप उत्तर दिशा में चूल्हा रखते हैं तो स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां उत्पन्न होती हैं।
2. जल का स्रोत सदैव उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए। अगर घर में ऐसा करना संभव न हो तो पीने का पानी रसोई की उत्तर-पूर्व दिशा में रखें। बर्तन धोने का सिंक भी इसी दिशा में होना चाहिए। आग्नेय कोण में कभी भी जल का स्त्रोत न रखें।
3. गैस चूल्हे का बर्नर ख़राब नहीं होना चाहिए. बर्नर की साफ-सफाई का ध्यान रखें. चूल्हे में मां अन्नपूर्णा का वास होता है। यदि आप किसी अन्य व्यवस्था से खाना पकाते हैं तो उस स्थान की साफ-सफाई की व्यवस्था अवश्य कर लें।
4. खाना पकाने के बाद इसे हमेशा गैस स्टोव के दाहिनी ओर रखें. ऐसा माना जाता है कि इस दिशा में मां अन्नपूर्णा का वास होता है। खाना कभी भी बायीं ओर न पकाएं। इससे आपके परिवार की सेहत ख़राब हो सकती है.
5. सिंक के नीचे कबाड़ और कूड़ेदान न रखें। ऐसा करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।
6. खुले कूड़ेदान का प्रयोग न करें और कूड़ेदान की सफाई का पूरा ध्यान रखें। कूड़ेदान को ऐसे स्थान पर रखें जहां आपकी नजर उस तक न पहुंच सके, क्योंकि यह भी नकारात्मक ऊर्जा का स्रोत है।
7. स्टोव और सिंक को एक ही जगह पर न रखें, अगर ऐसा है तो बीच में लकड़ी की दीवार बना लें। यदि ऐसा करना संभव न हो तो वहां एक लकड़ी का बर्तन रख दें। आग और पानी को एक ही स्तर पर न रखें। बीच में एक अलग तत्व रखें।