आपकी कुंडली के किस भाव में हैं केतु, इस भाव में दिलाते हैं मनचाही सफलता

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Santy

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार केतु ग्रह कुंडली के सभी 12 भाव या स्थान पर अलग-अलग प्रभाव दिखाता है। इसमें यदि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में केतु (Ketu) पहले भाव में हो तो, वह जातक को किसी भी क्षेत्र में मनचाही सफलता दिला सकता है। ऐसा व्यक्ति इच्छानुसार सफलता के लिए पारिवारिक व सामाजिक जीवन से दूरी भी बना लेता है। ज्योतिष में राहु की तरह केतु (Ketu) को भी क्रूर या कठोर ग्रह बताया गया है।

सिर्फ बुरे नहीं, अच्छे फल भी देता है केतु

किसी व्यक्ति की कुंडली के प्रथम भाव में केतु हों, उसे आमतौर पर अशुभ कहा जाता है, लेकिन ऐसा नहीं है। यह बुरे ही नहीं, अच्छे फल भी देता है। यह व्यक्ति को आध्यात्म या वैराग्य की ओर भी ले जाता है।

केतु ग्रह को अश्विनी, मघा और मूल नक्षत्र का स्वामी बताया गया है। केतु भानु राक्षस का धड़ है, तो उस राक्षस का सिर राहु होता है।

जिस व्यक्ति की जन्मकुंडली के प्रथम भाव में केतु होता है, वह व्यक्ति अपनी मेहनत पर भरोसा करता है। अपनी मेहनत की बदौलत वह कई लक्ष्य हासिल करता है।

इसके दुष्प्रभाव से व्यक्ति चंचल और डरपोक भी हो सकता है।

इसकी वजह से व्यक्ति मानसिक तनाव से भी गुजरता है। उसे सही-गलत का निर्णय लेने में कठिनाई होती है।

इस व्यक्ति को कुछ सीखने की ललक कम रहती है। वह किसी भी व्यक्ति की बात पर विश्वास कर लेता है, भले ही वह झूठा क्यों न हो।

ऐसे लोगों को अपनों से धोखा भी मिल सकता है, लेकिन यह बात वह सार्वजनिक करने से परहेज करता है। वह अपने मन की तकलीफ मन में ही दबाए रख सकता है।

केतु का दुष्प्रभाव कम करने के लिए लगाएं केसर का तिलक
जिस व्यक्ति की कुंडली के प्रथम भाव में केतु हों, उसे इसका दुष्प्रभाव कम करने के लिए ललाट पर केसर का तिलक लगाना चाहिए। नियमित रूप से भगवान गणेश की पूजा या अर्चना करने से भी लाभ मिलता है।

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