Pitrudosh Upay: हमारी भारतीय संस्कृति में पितरों का श्राद्ध करने की प्रथा प्राचीन काल से चली आ रही है। पितृपक्ष या पितृ श्राद्ध हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण एक पूजा और श्राद्ध पर्व है, जिसमें श्राद्ध की आयोजन करके पितरों को याद किया जाता है। यह पर्व पितरों के प्रति कृतज्ञता और ऋण के प्रति समर्पण का प्रतीक होता है। इस पर्व के माध्यम से लोग अपने पितरों के आत्मा की शांति की प्राप्ति के लिए भी प्रार्थना करते हैं।
पितृपक्ष के दौरान, लोग अपने पितरों के लिए श्राद्ध करते हैं, जिसमें वे पितरों के लिए आहार, जल, और अन्य आवश्यक चीजें प्रदान करते हैं।
धार्मिक और आध्यात्मिक परंपराओं में पितृदोष का महत्व होता है और कुछ लोग मानते हैं कि यदि किसी की कुंडली में पितृदोष होता है, तो वह विभिन्न परेशानियों का सामना कर सकता है। पितृदोष का मुख्य प्रतिकूल प्रभाव वंश के लोगों पर होता है, और इसके परिणामस्वरूप वे परेशानियों का सामना कर सकते हैं।
जानिए कुंडली में बनता है पितृ दोष?
1-जब किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु केंद्र में या त्रिकोण स्थिति में होता है, तो पितृ दोष के आसार बनते है.
2-जब कोई भी बड़ों का अनादर या अपमान करता है, या फिर मार देता है, तो ऐसे में व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष होता है.
3-जब कुंडली में सूर्य, चंद्रमा और लग्नेश का संबंध राहु से होता है, तो उसकी कुंडली में पितृ दोष होता है.
जब किसी की कुंडली में पितृदोष होता है. तो ऐसे में व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. और अगर आपकी कुंडली में पितृदोष होता है तो ऐसे में आपके विवाह में देरी हो सकती है, मैरिड लोगों का जीवन परेशानियों से भर जाता है,यही नहीं गर्भधारण में भी समस्या होती है, घर में अकाल मृत्यु, कर्ज और आर्थिक समस्या परेशानियां,विकलांग या दिव्यांग का जन्म होना, इसके अलावा इन्सान बुरी आदतों में फस सकता है.
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