Rakhi 2023 : राखी का महत्व अत्यधिक होता है और यह हिंदू संस्कृति में एक महत्वपूर्ण परंपरागत त्योहार है। रक्षा बंधन के दौरान बहन अपने भाई को सुरक्षा का धागा बांधती है और भाई बहन के आपसी प्यार और संरक्षण की एक प्रतीक के रूप में यह बंधन बन जाता है। ऐसे में वास्तु शास्त्र में दिशाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को भी बताया है। वास्तु शास्त्र और दिशा-निर्देश ज्योतिष शास्त्र भारतीय संस्कृति में आदिकाल से ही महत्वपूर्ण रहे हैं। इनका मुख्य उद्देश्य घर और व्यक्तिगत जीवन की समृद्धि, शांति, और समृद्धि को बढ़ावा देना होता है।
रक्षा बंधन के समय, यदि आप वास्तु और दिशा-निर्देश का पालन करना चाहते हैं, तो निम्नलिखित तरीके से भाई-बहन को बैठना सुनिश्चित कर सकते हैं:
- पूर्व-पश्चिम दिशा: यदि संभावना हो, तो बहन को पूर्व-पश्चिम दिशा में बैठने की कोशिश करें। यह दिशा विशेष रूप से ब्रह्मा और सरस्वती के संबंध में महत्वपूर्ण मानी जाती है और शिक्षा, ज्ञान, और सफलता के साथ जुड़ी होती है।
- उत्तर-दक्षिण दिशा: अगर पूर्व-पश्चिम दिशा में बैठने की कोई संभावना नहीं है, तो आप उत्तर-दक्षिण दिशा को भी विचार सकते हैं। यह दिशा दक्षिण की देवी दुर्गा और कार्तिकेय के संबंध में जुड़ी होती है और साहस, संघर्ष, और प्रेरणा के प्रतीक के रूप में मानी जाती है।
- आसन और दिशा: भाई को पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए, जबकि बहन को पश्चिम दिशा में बैठकर अपना मुख करना चाहिए।
- तिलक और आरती: बहन को भाई के माथे पर रोली, अक्षत और चंदन का तिलक करना चाहिए। उसके बाद, बहन भाई की आरती उतार सकती है, जिससे उनके बचाव और कल्याण की कामना होती है।
- राखी बंधन: फिर बहन भाई की कलाई पर राखी बांध सकती है, जिससे उनके बीच मजबूत बंधन की प्रतीक्षा होती है।
- मंत्र का जाप: राखी बांधते समय, आप शास्त्रों के अनुसार निम्नलिखित मंत्र का जाप कर सकते हैं:”येन बद्धो बलि राजा दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।”
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