GK Questions व्हेल बेशक समुद्र में सबसे बड़ा जीव है लेकिन धरती के इतिहास में सबसे बड़ा जानवर हाथी है। हाथी की औसत आयु लगभग हमारी जितनी ही होती है। लेकिन इतना बड़ा जानवर होने के बावजूद हाथी शायद ही कभी किसी बीमारी से ग्रसित होते हैं। यहां तक कि कैंसर भी लगभग नगण्य होता है।

यह अपने आप में बड़ी बात है क्योंकि हाथियों में इंसानों से लाखों गुना ज्यादा कोशिकाएं होती हैं और कोशिकाओं में डीएनए डैमेज हमेशा होता रहता है। जब डीएनए डैमेज बड़े पैमाने पर होने लगता है तो यह कैंसर में बदल जाता है, लेकिन हाथियों में डीएनए डैमेज होना आम बात नहीं है। यही वजह है कि हाथियों में कैंसर के दुर्लभ मामले ही देखने को मिलते हैं। डीएनए डैमेज न होने की वजह हाथियों में पाया जाने वाला एक दुर्लभ जीन है।

p53 जीन की 20 कॉपी हाथियों के लिए जीवन हैं

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी समेत कई संस्थानों द्वारा किए गए एक शोध में पाया गया कि हाथियों में p53 जीन की 20 कॉपी होती हैं जबकि इंसानों में सिर्फ एक। यह जीन डीएनए डैमेज को तुरंत ठीक कर देता है लेकिन इंसानों में यह जीन इतने स्तर पर नहीं होता। दरअसल, किसी जीव में कोशिकाएं खुद की हूबहू कॉपी बनाती रहती हैं।

जब प्रतिलिपि बनती है तो वह पुरानी कोशिकाओं की जगह ले लेती है और पुरानी कोशिकाओं को शरीर से निकाल दिया जाता है। अगर नई कोशिकाएँ बिल्कुल पुरानी कोशिकाओं जैसी ही हैं तो उनमें सब कुछ संतुलित रहता है, लेकिन अगर उनमें थोड़ा भी बदलाव होता है तो उत्परिवर्तन शुरू हो जाता है।

हालाँकि इन नई कोशिकाओं में गड़बड़ी होती है, लेकिन हमारे शरीर का सिस्टम ऐसा है कि वह उनकी मरम्मत करता रहता है। लेकिन जब यह उत्परिवर्तन बड़े पैमाने पर होने लगता है, तो ऐसे उत्परिवर्तन वाली कोशिकाएँ एकत्रित होकर ट्यूमर बनाती हैं। ये कैंसर कोशिकाओं में बदल जाती हैं।

हाथी इस उत्परिवर्तन को कैसे रोकता है?

अगर हम ज़्यादा ज़हरीले पदार्थों का सेवन करते हैं, ज़्यादा तनाव लेते हैं, ख़राब जीवनशैली अपनाते हैं, तो ये सभी कारक उत्परिवर्तन की दर को बढ़ा सकते हैं। इस तरह से इंसानों में कैंसर की दर बढ़ सकती है, लेकिन इंसानों से अलग हाथी इस प्रवृत्ति को चुनौती देते हैं।

हालाँकि हाथियों का शरीर बहुत बड़ा होता है और उनकी औसत आयु भी इंसानों के बराबर होती है, फिर भी हाथियों में कैंसर से मृत्यु दर 5% से भी कम आंकी गई है। वैज्ञानिकों का मानना है कि हाथियों में कैंसर के प्रति अत्यधिक प्रतिरोधक क्षमता का कारण उनके पास मौजूद p53 जीन की 20 प्रतियाँ हैं। इसे “जीनोम का संरक्षक” कहा जाता है। यह जीन अन्य स्तनधारियों में केवल एक ही होता है। यह जीन डीएनए की मरम्मत तेज़ी से करता है।