क्यों है गरुड़ पुराण इतना खास, बाकि के 17 पुराणों से कैसे है अलग

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Shivam Jha

गरुड़ पुराण का नाम सुनते ही आपके दिमाग में भी मृत्यु से संबंधित घटनाओं का जिक्र ही दिमाग में आता होगा। आपने देखा होगा कि जब किसी के घर पर परिजन की मौत हो जाती है उसके बाद पुरे 13 दिनो तक गरुड़ पुराण का पाठ कराया जाता है।सनातन धर्म को मानने वाले गरुड़ पुराण में वर्णित बातों के प्रति अपना विश्वास प्रकट करते हैं, जिसमें मृतक की मृत्यु से लेकर मोक्ष प्राप्ति तक के सफर को बड़े ही विस्तारपूर्वक तरीके से बताया गया है।

 

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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सनातन धर्म में कुल मिलाकर 18 पुराण और उप पुराण है। इन सभी पुराणों की रचना महर्षि वेदव्यास के द्वारा की गई है। जी हां वही वेदव्यास जिन्होंने महाभारत भी लिखी है। गरुड़ पुराण भी इन्हीं में एक है. इसमें कुल 19 हजार श्लोक हैं,जिसमें भगवान विष्णु के 24 अवतारों को बताया गया है। इसमें सूर्य, चंद्र और अन्य ग्रहों सहित अलौकिक संसार की 9 शक्तियों का भी वर्णन किया गया है।

 

जानिए सभी पुराणों के नाम

 

हिंदू धर्म में कुल 18 पुराण है। जिनके नाम इस प्रकार है -ब्रह्म पुराण, पद्म पुराण, विष्णु पुराण, वायु पुराण, भागवत पुराण, नारद पुराण, मार्कण्डेय पुराण, अग्नि पुराण, भविष्य पुराण, ब्रह्म वैवर्त पुराण, लिङ्ग पुराण, वाराह पुराण, स्कन्द पुराण, वामन पुराण, कूर्म पुराण, मत्स्य पुराण, गरुड़ पुराण, ब्रह्माण्ड पुराण। इसमें ब्रह्म पुराण को सबसे पुराना और स्कंद पुराण को सबसे बड़ा पुराण माना गया है।

 

गरुड़ पुराण कैसे है अलग?

 

इन सभी पुराणों से गरुड़ पुराण पुरी तरह से अलग है। इसका कारण ये है कि इस ग्रंथ की रचना अग्निपुराण के बाद हुई है और इसमें अन्य पुराणों से अलग बातें बताई गई हैं। गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु और गरुड़राज के बीच जीवन-मरण को लेकर होने वाली वार्तालाप को बताया गया है। गरुड़राज ने भगवान विष्णु से जीवन-मरण से संबंधित ज्ञान को अर्जित कर ऋषि कश्यप को सुनाया।

 

 

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