Viral News: देश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की ओर बढ़ रहा है। हम अपनी उंगलियों से ही पूरी दुनिया से जुड़ सकते हैं। बिजली और पानी जैसी बुनियादी जरूरतों से परे, अब हम AI युग में प्रवेश कर चुके हैं। कैशलेस युग में हर सुविधा का लाभ फोन के जरिए लिया जा सकता है। ऐसे में फोन के बिना रहना और टेक्नोलॉजी से पूरी तरह अछूता रहना बहुत मुश्किल लगता है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में एक ऐसी जगह भी है जो बिजली, मोबाइल और तकनीकी चीजों से कोसों दूर है। भागती-दौड़ती दुनिया से बिल्कुल अलग इस जगह पर न तो शोर है और न ही भीड़-भाड़। यह स्थान तकनीकी प्रगति से अछूता है लेकिन पवित्रता, दिव्यता और आध्यात्मिकता के बहुत करीब है। मानसिक शांति और सुकून के लिए लोग इस जगह पर आना पसंद करते हैं। आइए जानते हैं भारत के एक ऐसे गांव के बारे में।
टटिया गांव कहां है
उत्तर प्रदेश में स्थित वृन्दावन शहर एक धार्मिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। वृन्दावन का छोटा सा टटिया गांव शांति और सुकून का अहसास कराता है। इस गांव के लोग शोर, तकनीक, मशीनों और बिजली के इस्तेमाल से पूरी तरह दूर हैं।
यहां न तो बिजली है और न ही गांव के लोग फोन या एसी का इस्तेमाल करते हैं. यह जानकर हैरानी होगी कि जहां हर घर में पंखे और एसी मौजूद हैं, वहीं इस गांव के किसी भी घर में पंखे या बल्ब तक नहीं हैं। यहां ठाकुर जी का एक मंदिर है, जिसमें भगवान को हवा देने के लिए पुराने जमाने का तार वाला पंखा लगाया जाता है।
टटिया गांव का इतिहास
गांव से जुड़ा इतिहास काफी दिलचस्प है. सातवें आचार्य स्वामी ललित किशोरी देव जी ने निधिवन छोड़कर एक निर्जल वृक्ष के नीचे बैठकर ध्यान करने का निर्णय लिया। आचार्य जी के लिए स्थान सुरक्षित बनाने के लिए पूरे क्षेत्र को बांस की बल्लियों से घेर दिया गया था। स्थानीय भाषा में बांस की डंडियों को टटिया कहा जाता है। ऐसे में गांव का नाम टटिया रखा गया।
इसी स्थान पर साधु-संत आते हैं और खुद को दुनिया से अलग कर ठाकुर जी की भक्ति में लीन हो जाते हैं। इस गांव में आकर आपको ऐसा लगेगा मानो आप कई सदी पीछे चले गए हों, जहां बाहरी दुनिया से कोई लगाव या संपर्क नहीं है।