Toe Ring: अक्सर हमने महिलाओं को हिंदू धर्म में यह देखा है कि विवाह होने के बाद पैरों में बिछिया पहनती हैं। आज के दौर में फैशन के चलते लोग बिछिया नहीं पहनती हैं, लेकिन विवाहित स्त्री की एक निशानी बिछिया को माना जाता है। जब भी हम किसी महिला के पैर में बिछिया पहने देखते हैं तो हम यह अंदाजा लगा सकते हैं कि महिला विवाहित हैं। दुल्हन के सोलह सिंगार में से एक बिछिया है, जो वैवाहिक रिश्ते को मजबूत बनाने का काम करता है। आइए जानते हैं कि नारद संचार के ज्योतिष अनिल जैन से कि आखिर विवाह के बाद बिछिया क्यों पहनी जाती है?
विवाह के बाद बिछिया पहनने का क्या कारण है
बिछिया सोलह सिंगार में से एक मुख्य श्रृंगार है शादी के बाद दोनों पैरों के उंगलियों में बिछिया पहनी जाती है। इससे विवाह संबंध अच्छा रहता है जिसके पांव में बिछिया होता है उनसे मां लक्ष्मी जल्दी आकर्षित होती है। बिछिया पहनना विवाह के बाद अनिवार्य माना गया है।
बिछिया का महत्व क्या है
शादी के बाद भी बिछिया पहनने का महत्व रामायण काल से चला आ रहा है कहा जाता है कि रामायण काल के दौरान माता सीता के अपहरण करके जब रावण ले जा रहा था तब माता सीता ने अपनी बिछिया फेंक दी थी। जिससे भगवान राम उन्हें आसानी से ढूंढ सके, कहा जाता है कि तब से लेकर आज तक महिलाएं बिछिया पहनती है।
पैर के मध्यमा उंगली में बिछिया पहनी जाती है इसका सीधा संबंध आपके हृदय से होता है जब आप अपने पैरों में चांदी की बिछिया पहनती है तो इससे चंद्रमा ग्रह के ऊपर प्रभाव पड़ता है और आपके पति पत्नी के बीच के संबंध मजबूत होते हैं और जीवन में शांति बनी रहती है। चांदी के बिछिया पहनने के और भी बहुत से फायदे हैं, चांदी में पृथ्वी की ध्रुवीय ऊर्जा को अवशोषित करने की शक्ति होती है।
यह चंद्रमा की धातु मानी गई है जीवन में सुख शांति समृद्धि एवं शरीर में नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए महिलाओं को बिछिया अवश्य पहनना चाहिए।