नई दिल्ली- मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी गठबंधन इंडिया अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया है। लोकसभा में अविश्वास को मंजूरी मिल गई है। अगले हफ्ते पर चर्चा हो सकती है इससे पहले स्पीकर ओम बिडला गुरुवार को सभी दलों के प्रमुख नेताओं से इस पर चर्चा करेंगे।
मणिपुर हिंसा का हवाला देते हुए विपक्षी पार्टियां केंद्र सरकार के खिलाफ लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई है। कांग्रेस के गौरव गोगोई ने मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस जारी किया है जिसे 50 सांसदों के समर्थन के बाद लोकसभा स्पीकर ने स्वीकार कर लिया अब इस पर बहस होगी।
इससे पहले अविश्वास प्रस्ताव को लेकर लोकसभा स्पीकर गुरुवार को सभी दलों के प्रमुख नेताओं के साथ चर्चा करेंगे चर्चा इस बात पर होगी। कि अविश्वास प्रस्ताव पर किस दिन चर्चा हो। और किस दल को कितना समय दिया जाए सूत्रों के मुताबिक अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा अगले हफ्ते होगी। चर्चा 2 दिन हो सकती है।
किसी खास मुद्दे पर बहस की नाराजगी होती है जैसे इस बार मणिपुर को लेकर उस मुद्दे को लेकर लोकसभा का सांसद नोटिस देता है जैसे इस बार कांग्रेस के तरुण गोगोई ने दिया नोटिस के बाद लोकसभा स्पीकर उसे सदन में पढ़ते हैं। इस बार भी ऐसा ही हुआ फिर नोटिस को अगर 50 सांसदों का समर्थन मिलता है। तो बहस होती गौरव गोगोई ने जो नोटिस दिया। उसे 50 सांसदों ने समर्थन दिया। अब उस पर बहस होगी।और बहस के बाद वोटिंग भी होगी।
बहस में विपक्ष की ओर से आरोप लगाए जाएंगे और सरकार की ओर से उन आरोपों का जवाब दिया जाएगा। बहस के बाद वोटिंग होगी।
विपक्ष को यह पता है कि मोदी सरकार पूर्ण बहुमत में है। और सरकार कोई खतरा नहीं किसी भी अविश्वास प्रस्ताव को लाने के लिए 50 सांसदों के समर्थन की जरूरत होती है। लेकिन अविश्वास प्रस्ताव जिससे किसी सरकार को खतरा हो उसके लिए सदन में मौजूद और वोट करने वाले सदस्यों में से 50 फ़ीसदी से ज्यादा का समर्थन होना चाहिए।
यह तय है। कि अपने दम पर बहुमत वाली मोदी सरकार को अविश्वास प्रस्ताव से कोई खतरा नहीं क्योंकि मोदी सरकार के पास 229 सांसदों की संख्या है। वहीं विपक्ष के पास सिर्फ 142 सांसदों की संख्या है माना जा रहा है। कि अविश्वास प्रस्ताव लाने के पीछे विपक्ष का मकसद सिर्फ मोदी सरकार को मणिपुर के मुद्दे पर सदन में घेरना है।