नई दिल्लीः कहते हैं कि मेहनत के साथ-साथ किस्मत भी अपना बड़ा किरदार निभाती है। बात चाहें नौकरी की हो या फिर बिजनेस के साथ किसी भी क्षेत्र की। अगर आपकी तकदीर सही साथ नहीं दे रही तो सीधा काम भी उल्टा होने लगता है। देश और दुनिया में ऐसे बहुत उदाहरण हैं जिन्होंने बड़े मन से काम कर उन्नति की, लेकिन एकदम नीचे गिर गए।
संपत्ति में ऊपर पहुंचने और फिर नीचे गिरने का सिलसिला बिजनेसमैनों के साथ ज्यादा चलता है। भारत में भी ऐसे कई बिजनेसमैन हैं जिन्होंने अरबों रुपये का साम्राज्य खड़ा कर अर्स पर पहुंचे और एकदम फर्श पर आ गए। आज हम आपको एक ऐसी ही व्यवसायी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने बाज की तरह उड़ान भरी, लेकिन अचानक भी बेदम होकर नीचे गिर गए।
हालात ऐसे बन गए कि करोड़ों रुपये की कंपनी कुल 74 रुपये में बेचनी पड़ी। आपको यह बात सुनकर बड़ी अजीब लग रही होगी, लेकिन क्या आपको पता है कि यह सौ फीसदी सच है। इस व्यवसायी की नाम कुछ और नहीं बल्कि बीआर शेट्टी है।
कभी लग्जरी जिंदगी जीने वाला व्यसायी आज फुटपाथ पर
कभी आलीशान बंगलों और लग्जरी गाड़ियों में घूमने वाला अरबपति बीआर शेट्टी आज पाई-पाई को मोहताज है। कभी वे 18,000 करोड़ रुपये की संपत्ति के मालिक हुआ करते थे। बुर्ज खलीफा में मंजिलों, शानदार कारों और निजी जेट के ऑनर भी थे, लेकिन जीवन का चक्र ऐसा घुमा की कुछ समझ नहीं आया और कंगाल होने की स्थिति में आ गए।
हालात इतने बदतर हो गए कि 12,400 करोड़ रुपये की कंपनी को सिर्फ 74 रुपये में बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा। इसे ही किस्मत कहते हैं। बात साल 1973 की है, जब बीआर शेट्टी ने अच्छी संभावनाओं में करीब 700 रुपये के साथ कर्नाटक से यूएई की राजधानी अबूधाबी जाने का निर्णय लिया।
इससे हपले वे दवाएं बेचने का काम करते थे। साल 1975 में शेट्टी ने न्यू मेडिकल सेंटर के नाम से एक मामूली दवा क्लिनिक का आगाज किया। शुरुआत में सेंटर में एकमात्र डॉक्टर उनकी पत्नी थीं। समय के अनुसार, NMC संयुक्त अरब अमीरात के सबसे प्रमुख निजी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं में से एक महत्वपूर्ण बन गया। इस उपलब्धि के जरिये शेट्टी यूएई के निजी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में एक लीडर के रूप में उभरे थे।
जानिए कैसे एकदम बदला समय
साल 2019 में शेट्टी के जीवन में एकदम बहुत बड़ा बदलाव आया। मड्डी वॉटर्स नाम की ब्रितानी इंवेस्टमेंट रिसर्च फर्म ने आरोप लगाया गाने का काम किया। शेट्टी ने कर्ज के स्तर को कम दिखाने के लिए नकदी प्रवाह के आंकड़ों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया। कंपनी पर लगे इन आरोपों के बाद शेयर मूल्य में गिरावट दर्ज की गई।
इसके कारण ऐसी स्थिति अलग ही बन गई। उस दौरान बीआर शेट्टी को अपनी 12,478 करोड़ रुपये की कंपनी को महज 74 रुपये में इजरायल-यूएई कंसोर्टियम को बिक्री के लिए मजबूर होना पड़ा।