नई दिल्ली। उत्तर भारत में तेजी से तापमान कम हो रहा है, जिसके चलते डॉक्टरों ने उत्तर भारत वासियों को यह बताया है कि सर्दियों के चलते तेजी से हृदयाघात (हार्ट अटैक) हार्ट डिजीज ब्रेन स्ट्रोक एवं अस्थमा अटैक का खतरा बढ़ रहा है। उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में 24 घंटे के अंदर ही ब्रेन स्ट्रोक और हार्ट अटैक के 25 लोगों की मौत की खबर आई है। बहुत से रिसर्च का यह कहना है कि ठंड बढ़ने के कारण दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में एम्स के मेडिसिंस डिपार्टमेंट के प्रोफेसर नवल विक्रम का कहना है कि ठंड में शरीर से पसीना नहीं निकलता है।
जिसके कारण शरीर में सोडियम और पानी बाहर नहीं निकल पाते हैं और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। जिसका असर हमारे हार्ट को खून पहुंचाने की धमनियों के ऊपर होता है, इसलिए आपको सतर्क रहने की थोड़ी ज्यादा आवश्यकता है। एम्स के कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉक्टर अंबुज राय के अनुसार दिल की बीमारियों से जुड़े मरीजों को इन दिनों ज्यादा खतरा है ऐसे में वे संभल के रहें।
बड़ी हुई शीतलहर और ठंड में किन चीजों से करें परहेज
ठंड के दौरान शरीर गर्म करने के लिए ज्यादा काम करें। हो सके तो वाकिंग और एक्सरसाइज करें, जिससे आपके शरीर में गर्माहट पैदा हो और धमनियों में कोलेस्ट्रॉल जमने की आशंकाएं कम हो। हार्ट पेशेंट को व्यायाम और एक्सरसाइज या फिर शाम के वक्त वाकिंग जरूर करना चाहिए। शरीर से पसीना नहीं निकलना है, बड़ा कारण। एम्स के प्रोफेसर ने यह कहा है कि ठंड के दिनों में ब्रेन स्ट्रोक का खतरा 30 परसेंट तक बढ़ा है, इसका मुख्य कारण शरीर से पसीना निकलना है। जिसके कारण ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और ब्रेन स्ट्रोक भी इसी के चलते बढ़ रही है।
दिमाग तक ऑक्सीजन जब नहीं पहुंच पाता है तो कोशिकाएं मरने लगती है, ऐसे में मरीजों को पता नहीं चलता है और वे ब्रेन स्ट्रोक के शिकार हो जाते हैं।
इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज
-अचानक से शरीर के किसी अंग में कमजोरी आना।
-मांसपेशियों का विकृत होना।
-समझने या बोलने में दिक्कत का सामना करना। कम दिखाई देना, चलने फिरने में दिक्कत आना।
-चक्कर आना। बैलेंस कम होना, अचानक से सर दर्द होना।
-हाथ पैर का सुन्न होना। हाथ पैर का अकड़ना।