citizenship amendment act: नागरिकता संशोधन कानून(सीएए) को अब पूरे देशभर में लागू कर दिया गया है, जिसके बाद मुस्लिम संगठन सहित तमाम राजनेता भी इसका विरोध कर रहे हैं। सीएए कानून लागू होने के बाद उन लोगों को नागरिता मिल जाएगी, जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से प्रताड़ित होकर आए हैं।
इस कानून में मुस्लिमों को बाहर रखा गया है, जिसका विरोध बड़े स्तर पर चल रहा है। भारत सरकार ने शाहिन बाग जैसे आंदोलन से सबक लेते हुए पहले ही तमाम जगह फोर्स तैनात कर दी हैं। दूसरी तरफ दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने सीएए को लेकर एक बड़ा बयान दिया है।
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दिल्ली में रह रहे पाकिस्तानी हिंदुओं ने अरविंद केजरीवाल के आवास का घेराव कर दिया। इतना ही नहीं केजरीवाल के बयान का गृह मंत्री अमित शाह ने भी विरोध किया। दरअसल, केजरीवाल पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों को लेकर कहा था कि इनकी वजह से दिल्ली में चोरी लूटपाट और डकैती की घटनाएं बढ़ेंगी। केजरीवाल के इस बयान पर बीजेपी ने चुटकी ली और तमाम शरणार्थी भी भड़क गए।
सीएम केजरीवाल ने कही बड़ी बात
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने सीएए को लेकर बड़ी बात कही। केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके केंद्र सरकार को सीएए को वापस लेने की अपील की थी। उन्होंने कहा कि 10 साल देश पर राज करने के बाद बीजेपी की सरकार सीएए लागू करने की बात कर रही है।
आगे कहा कि देशभर महंगाई और बेरोजगारी जैसी बड़ी समस्या पनप रही है, जिसका समाधान खोजना चाहिए। सरकार इन समस्याओं को समाधान खोजने के बजाए बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों को भारत में लाना चाहते हैं। उन्हें नौकरियां देंगे।
घर बसाएंगे, तो हमारे बच्चों की जॉब और बेघरों का क्या होगा? हमारे हक के घर पाकिस्तानियों को देना चाहते हैं। विकास के नाम पर खर्च होने वाला पैसा पाकिस्तानियों पर खर्च होगा। इन तीनों देशों से 1.5 करोड़ लोग भी आ गए, तो रोजगार कौन देगा? कुछ लोग इसे बीजेपी की गंदी राजनीति बोलते हैं। यह सब वोट बैंक की राजनीति है।
अमित शाह ने दिया करारा जवाब
सीएए लागू होने के तीसरे दिन सीएम अरविंद केजरीवाल ने कानून को बलात्कार और चोरी घटनाएं बढ़ने की आशंका जताई हैं। इस बीच गृह मंत्री अमित शाह ने केजरीवाल को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अपने भ्रष्टाचार के उजागर होने से अपना आपा खो बैठे हैं।
आगे कहा कि उन्हें पता नहीं है कि ये लोग भारत में आ चुके हैं और भारत में रह रहे हैं। अगर उन्हें इतनी ही चिंता है तो वे बांग्लादेशी घुसपैठियों की बात नहीं करते या रोहिंग्या का विरोध क्यों नहीं करते? वे वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं।