देश में इन दिनों शेयर बाजार में निवेश और ट्रेडिंग करने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। लोग अपने मौजूदा काम के चलते भी ट्रेडिंग सीख रहे हैं। और बेहतर मुनाफा कमा आ रहे हैं। अगर आप भी शेयर बाजार के ट्रेडिंग करते हैं तो आपको हर हाल में इस साल के आईटीआर रिटर्न समय पर कर लेना चाहिए।

पिछले सालों के मुकाबले फ्यूचर एंड ऑप्शन यानी कि एफएनओ में ट्रेडिंग करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। आपके लिए जरूरी हो जाता है कि आपको टैक्स के नियम पता होना चाहिए और सही आरटीआर फॉर्म चुनकर भर लेना चाहिए नहीं तो आपको टैक्स नोटिस भी मिल सकता है। इस समय शेयर बाजार में लोग निवेश ओर ट्रेडिंग कर रहे है, जिससे आप के लिए जरुरी है कि यहां पर समय से आयकर रिटर्न दाखिल कर लें, जिससे बाद में कोई परेशानी ना हो।

8 साल तक कर सकते हैं लॉस को कैरी फॉरवार्ड

देश में F&O सेगमेंट में इंट्रा डे ट्रेडिंग तो बहुत से लोग करते है, हालांकि यहां पर नियमों की जानकारी नहीं होती है, जिससे परेशानी बढ़ सकती है, जब आप को टैक्स नेटिस मिल जाता है। बता दें कि में F&O टर्नओवर का कैलकुलेशन हर ट्रेड से होने वाले प्रॉफिट या लॉस के आधार पर होता है। जिससे यहां पर ट्रेडिंग से लॉस की स्थिति में टर्नओवर का कैलकुलेशन और मुश्किल हो जाता है।

तो ध्यान देने वाली बात तो यह है कि स्पेकुलेटिव लॉस को सिर्फ स्पेकुलेटिव गेंस से ऑफसेट किया जा सकता है। जिससे  दोनों एक ही फाइनेंशियल ईयर के होने चाहिए। नियम के अनुसार इसे सिर्फ चार साल तक कैरी फॉरवर्ड किया जा सकता है।

F&O ट्रेडिंग से नॉन-स्पेकुलेटिव लॉसेज के मामले में सेम ईयर में किसी भी तरह की इनकम (सैलरी छोड़कर) सेट-ऑफ किया जा सकता है। इसे 8 साल तक कैरी-फॉरवर्ड किया जा सकता है। इससे ट्रेडर्स को टैक्स-प्लानिंग में मदद मिलती है।

बता दें कि देश में F&O ट्रांजेक्शन को नॉन-स्पेकुलेटिव बिजनेस कमाई मानी जाती है, जिससे यहां पर बिजनेस या प्रोफेशन से प्रॉफिट्स और गेंस के तौर पर टैक्स लगता है। जिससे F&O ट्रेडिंग से होने वाली इनकम (चाहे लॉस या प्रॉफिट) को इनकम टैक्स रिटर्न में बतौर बिजनेस इनकम दिखानी होती है।

मिलती है एक्सपेंसेज घटाने की इजाजत

तो वही खास बात तो यह कि यहां पर ट्रेडर को ट्रेडिंग से जुड़े एक्सपेंसेज घटाने की इजाजत है, जिससे कैलकुलेट कर सकते हैं। जिससे ट्रेडर अपने ब्रोकरेज चार्जेज, ट्रांजेक्सन कॉस्ट, इंटरनेट एवं टेलीफोन बिल्स, लैपटॉप और दूसरे एसेट्स पर डिप्रेशिएशन, ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म की सब्सक्रिप्शन फीस जैसे एक्सपेंसेज को घटा सकते हैं।

ऐसे होता है F&Oट्रेडिंग में टर्नओवर कैलकुलेशन  

F&O ट्रेडिंग में टर्नओवर का मतलब हर ट्रेड से हुए कुल प्रॉफिट और लॉस की वैल्यू होती है। इसे आप इस तरीके से समझ सकते हैं कि उदाहरण के तौर पर अगर आप ने एक ट्रेड से 10,000 रुपये का प्रॉफिट किया है और दूसरे ट्रेड पर आपको 5,000 रुपये लॉस हो गया है तो आपका टर्नओवर 15,000 रुपये (10,000 + 5,000) होगा।