Income Tax: हर साल की तरह इस बार भी आयकर रिटर्न दाखिल करना करदाताओं के लिए एक अहम पड़ाव है। वित्त वर्ष 2024-25 (आकलन वर्ष 2025-26) के लिए आयकर रिटर्न-आईटीआर फॉर्म 1 और 4 को केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड-सीबीडीटी ने अधिसूचित कर दिया है। इन फॉर्म का इस्तेमाल 1 अप्रैल 2024 से 31 मार्च 2025 के बीच की आय के लिए सरकार को आय की रिपोर्ट करने के लिए किया जाएगा। इस बार फॉर्म में कुछ अहम बदलाव किए गए हैं, खासकर आईटीआर-1 को लेकर, जिससे करदाताओं को राहत मिली है।

आईटीआर-1 में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन जोड़कर बड़ा बदलाव

इस साल का सबसे अहम अपडेट आईटीआर-1 में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स-एलटीसीजीटी को शामिल करना है। पहले यह फॉर्म केवल सैलरी, हाउस प्रॉपर्टी या ब्याज जैसी आय पर ही लागू होता था, लेकिन अब इसमें लिस्टेड इक्विटी शेयर और इक्विटी-ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड से होने वाली लॉन्ग टर्म इनकम को भी जोड़ दिया गया है। पहले ऐसे करदाताओं को ITR-2 भरना होता था, लेकिन अब 1.25 लाख रुपये तक की LTCG आय वाले करदाता ITR-1 का इस्तेमाल कर सकेंगे।

कौन ITR-1 भर सकता है और कौन नहीं

ITR-1 फॉर्म केवल उन करदाताओं के लिए है जो “सामान्य निवासी” हैं और जिनकी कुल वार्षिक आय 50 लाख रुपये से कम है। उनकी आय केवल सैलरी, एक हाउस प्रॉपर्टी से किराए और बैंक/FD ब्याज जैसे स्रोतों से होनी चाहिए। इसके साथ ही अब सेक्शन 112A के तहत 1.25 लाख रुपये तक के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स को भी इस फॉर्म में रिपोर्ट किया जा सकता है। हालांकि, अगर करदाता किसी कंपनी में डायरेक्टर है, उसने नॉन-लिस्टेड इक्विटी में निवेश किया है या सेक्शन 194N के तहत TDS कटता है, तो वह ITR-1 दाखिल नहीं कर सकता।

ITR-4 किसके लिए इस्तेमाल किया जाता है?

ITR-4 उन करदाताओं के लिए है जिनकी आय छोटे व्यवसाय या पेशे से आती है और जो अनुमानित आय योजना के तहत कर का भुगतान करते हैं। यह फॉर्म स्वरोजगार करने वाले पेशेवरों, दुकानदारों या छोटे कारोबारियों के लिए बनाया गया है जिनकी आय 50 लाख रुपये से कम है। हालांकि, इस पर कुछ शर्तें भी लागू होती हैं। निदेशक पद पर आसीन व्यक्ति या जिनके पास गैर-सूचीबद्ध शेयर हैं, वे इस फॉर्म का इस्तेमाल नहीं कर सकते।

करदाताओं के लिए बदलाव का असर और लाभ

इस बदलाव का सबसे बड़ा लाभ उन करदाताओं को होगा जो सीमित मात्रा में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन कमाते हैं लेकिन अब तक उनके लिए ITR-2 भरना अनिवार्य था। अब वे ITR-1 में ही अपनी आय और LTCG की जानकारी दे सकते हैं, जिससे फॉर्म भरने की प्रक्रिया आसान हो जाएगी और समय की भी बचत होगी। यह कदम सरकार द्वारा करदाताओं के अनुभव को सरल बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा सकता है।