नई दिल्ली National Pension System: एनपीएस रिटायरमेंट के लिए एक खास निवेश प्लान है। जो कि पीएफआरडीए और केंद्र सरकार के दायरे में आती है। इस पेंशन स्कीम को 18 साल की आयु से ही ज्वाइन किया जा सकता है।
आपको बता दें ये हर किसी के संभव नहीं है कि आपने अपनी नौकरी की शुरुआत 23 साल या फिर 25 साल में शुरु की हो, ये भी हो सकता है कि नौकरी शुरु में ही काफी सारे लोग रिटायरमेंट को अपनी प्राथमिकता नहीं दे पाते हैं। ऐसे में यदि कुछ देर भी हो जाए तो भी अनुशासित तरीके से इसस्कीम में किया गया निवेश रिटायरमेंट पर आपकी लाइफ को बेहतरीन बना सकते हैं।
काफी सारे ऐसे लोग होते हैं जो कि अपनी नौकरी के काफी सालों तक केवल अपनी जरूरतों को या फिर शौक को पूरा करने के लिए सैलरी का एक बड़ा भाग खर्च करते रहते हैं। नौकरी के शुरु में रिटायरमेंट प्लानिंग उनकी प्राथमिकता में नहीं रहता है।
ऐसे में रिटायरमेंट को बेहतर बनाने में देरी हो जाती है। ज्यादा देरी होने से बुढ़ापा बेकार हो जाता है। इसलिए समय से पहले रिटायरमेंट को बेहतर बनाने के लिए प्लानिंग जरुर कर लें। क्यों कि नॉन वर्किग टाइम या फिर रिटायरमेंट के बाद यदि आपकी रेगुलर इनकम कम है या फिर उसका इंतजाम नहीं है तो काफी सारी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
30 साल में निवेश शुरु करने पर क्या होगा?
अगर आप 30 साल की आयु में निवेश शुरु करते हैं तो एनपीएस में निवेश 20 हजार रुपये का होगा। इसके बाद 30 साल में कुल निवेश 72 लाख रुपये का हो जाएगा। इसमें आनुमानित रिटर्न 10 फीसदी सालाना के हिसाब से 4,55,86,507 रुपये जमा हो जाएंगे। इसमें आपको पेंशन के तौर पर 1.52 लाख रुपये प्राप्त होंगे।
मिलता है टैक्स बेनिफिट
आपको बता दें इनकम टैक्स एक्ट के मुताबिक इस स्कीम में निवेश के लिए 1.5 लाख रुपये की लिमिट तक का योगदान 80सी के तहत टैक्स बेनिफिट मिलता है। जबकि सेक्शन 80सीसीडी के तहत डिडक्शन के अलावा ग्राहकों को टियर 1 कंट्रीब्यूशन के लिए 50 हजार रुपये तक का डिडक्शन की अनुमति है।
जानें स्कीम में कितना है रिस्क
एनपीएस खाते के लिए इक्विटी एक्सपोजर पर 75 फीसदी से 50 फीसदी की लिमिट है सरकारी कर्मचारियों के लिए ये लिमिट 50 फीसदी की है। तय लिमिट में जिस साल निवेशकों की आयु 50 साल की हो जाएगी। उस साल से शुरु करके हर साल इक्विटी का पोर्सन 2.5 फीसदी कम हो जाएगा।
बहराल 60 साल और उससे ज्यादा आयु के निवेशकों के लिए लिमिट 50 फीसदी तय है। ये निवेशकों के हित में रिस्क रिटर्न इक्वेशन को स्थिर करता है। जिसका अर्थ है कि कॉपर्स इक्विटी मार्केट की अस्थिरता से कुछ हद तक सेफ है।