Electric Scooters: भारत सरकार नाम मेक इन इंडिया के तहत भारत को काफी सशक्त बना दिया है। लेकिन हाल ही में 6 इलेक्ट्रिक दुपहिया निर्माता कंपनियों पर लोकलाइजेशन नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया था।
यह सभी कंपनियां चीन से पार्ट्स को आयात कर रहे थे और बाद में इन्हीं पार्ट्स का प्रयोग कर इलेक्ट्रिक स्कूटर का निर्माण किया जा रहा था। इन आरोपों को की जांच के लिए सरकार ने एक समिति का गठन भी किया था। जिसमे बताया है कि सभी आरोप सही साबित है हुए हैं।
अब जब आरोप सिद्ध हो गया है तो सरकार ने इंची कंपनियों के खिलाफ 500 करोड़ रुपए की पेनल्टी लगा दी है और इन्हें फेम इंडिया स्कीम के सब्सिडी से भी हटा दिया गया है। यानी कि अब अगर आप इनके इलेक्ट्रिक स्कूटर खरीदते हैं तो आपको किसी भी प्रकार की सब्सिडी नहीं मिलेगी।
इन कंपनियों पर लगा जुर्माना
पिछले साल कई इलेक्ट्रिक स्कूटर में आग लगने की घटना सामने आई थी। इसके बाद जांच में पता चला था इन सभी इलेक्ट्रिक स्कूटर में चीन से लाए गए पार्ट्स का इस्तेमाल किया गया था। जिसके कारण उनकी क्वालिटी खराब थी और इसमें आग लग गई।
हालांकि यह सभी कंपनियां सब्सिडी प्राप्त करने के लिए मेक इन इंडिया का लेवल लगा लेती थी और भारत के बजाय चीन में बने पार्ट्स का उपयोग करती थी। यही कारण है कि सरकार ने इनके खिलाफ मामला दर्ज कर इन पर जुर्माना लगाया है।
अगर आपको इन कंपनियों के बारे में नहीं पता तो यह छह कंपनियां Okinawa Auto, Greaves Electric, Revolt Motors, AMO Mobility, Benling India Energy और सब की चाहती Hero इलेक्ट्रिक है।
मीडिया को दी गई रिपोर्ट में बताया गया है कि इन कंपनियों के धोखाधड़ी के कारण सरकार ने उनकी 1200 करोड रुपए की सब्सिडी रोक दी है। ऑटोमोबाइल कंपनियों के संगठन समिति ऑफ़ मैन्युफैक्चरर्स का इलेक्ट्रिक व्हीकल ने बताया है कि अगर सरकार सब्सिडी नहीं देती है तो सामूहिक रूप से सेक्टर को 9000 करोड रुपए का नुकसान होगा।
इसके बाद उनका मानना है कि सरकार के सख्त नियमों के कारण इलेक्ट्रिक दोपहिया मैन्युफैक्चरिंग के डेवलपमेंट की गति बहुत ही थम गई है। लेकिन चीनी पार्ट्स के खतरे को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने भारत में बने पार्ट्स को प्राथमिकता दिया है जो बहुत हद तक सही भी है।