नई दिल्ली Pension in Private Job: देश में काफी सारे लोग हैं जो कि गैर सरकारी क्षेत्रों में नौकरी करते हैं। उनकी सबसे बड़ी चिंता रिटायरमेंट के बाद पेंशन का न मिल पाना है। मतलब ये है कि काफी सालों से कंपनी में कर रहे काम लेकिन बुढ़ापे की कोई गारंटी नहीं होती है। वहीं सरकारी क्षेत्रों में काम करने वाले कर्मचारियों को ईपीएस की सुविधा मिलती है।
ईपीएफओ के कर्मचारियों के रिटायरमेंट के बाद उनकी सोशल सिक्योरिटी के लिए ये पेंशन स्कीम चला रही है। बहराल अभी इस स्कीम में अधिकतम सैलरी और नौकरी के साथ में लिमिट तय की गई है। चलिए इसकी कैलकुलेशन को समझते हैं कि प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों को कितनी पेंशन का लाभ होता है।
ईपीएस में पेंशन के क्या हैं नियम
वहीं ईपीएस के लिए अधिकतम सैलरी 15000 रुपये है। इसमें पेंशन के लिए अधिकतम सेवा 35 सालों तक है। कर्मचारी भी 58 साल की आयु ते बाद पेंशन का हकदार होता है। यहां हम आपको बता दें ईपीएस 1000 रुपये का है। पेंशन के लिए कम से कम रेगुलर 10 सालों तक की नौकरी रहनी जरुरी होती है। इसके बाद 50 सालों के बाद और 58 साल की आयु से पहले पेंशन लेने का ऑप्शन होता है।
बहराल पहले पेंशन लेने पर कम पेंशन मिलेगी। इसके लिए फॉर्म 10D फिल करना होगा। कर्मचारियों की मौत होने पर परिवार को पेंशन का लाभ होता है। इसमें सर्विस 10 सालों से कम है तो उनको 58 साल की आयु में पेंशन की रकम निकालने का मौका मिलता है।
ईपीएफओ मंथली ईपीएफ खाते में कर्मचारियों की सैलरी साथ में डीए का 12 फीसदी जमा होता है। नियोक्ता का कंट्रीब्यूशन भी इतना ही होता है इसमें से 8.33 फीसदी रकम कर्मचारियों के पेंशन फंड में जाती है और बाकी 3.67 फीसदी रकम ही पीएफ खाते में रहती है।
बता दें ईपीएफ खाते में 12 फीसदी जमा होता है। लेकिन नियोक्ता की 12 फीसदी की रकम दो हिस्सों में जमा होता है। नियोक्ता के 12 फीसदी योगदान में से 8.33 फीसदी राशि कर्मचारी पेंशन खाते में जमा होता है और बाकी 3.67 फीसदी रकम में EPF खाते में जाती है।
ईपीएफ फॉर्मूला समझें
ईपीएस में आपको कितनी पेंशन मिलेगी इसकी कैलकुलेशन का आसान फॉर्मला दिया गया है। ईपीएस में यहां पर सैलरी से मतलब है बेसिक सैलरी से। जोकि बीते 12 महीने के आधार पर निकाली जाती है। इसमें अधिततम पेंशनेबल सर्विस 35 सालों की है। अब अधितम योगदान और नौकरी के सालों पर ईपीएस कैलकुलेशन की पेंशन 7500 रुपये मंथली है। इसका अर्थ है कि इस समय नियमों के मुताबिक ईपीएस के द्वारा अधिकतम 7500 हजार और कम से कम 1 हजार की पेंशन प्राइवेट नौकरी करने वालों को रिटायरमेंट होने पर मिलेगी।
यहां पर ये याद रखें कि ईपीएस का ये फॉर्मूला 15 नवंबर 1995 के बाद संगठिक क्षेत्रों में काम करने वाले कर्मचारियों पर लागू होगा। इससे पहले कर्मचारियों के लिए अलग नियम है। वहीं दूसरी तरफ कर्मचारियों की तरफ से ये मांग लगातार की जा रही है कि मौजूदा वेज स्ट्रक्चर और महंगाई दर को देखते हुए पेंशन के लिए सैलरी मैक्जिमम सीमा को बढ़ाना चाहिए।