नई दिल्लीः भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो इन दिनों आसमान में नए-नए कीर्तिमान बना रही है, जिसके काम की हर जगह चर्चा हो रही है। इसरो ने जब से चंद्रयान 3 की सफल लैंडिग कर सूर्ययान का मिशन लॉन्च किया है, तभी से अंतरिक्ष का सफर बहुत आसान नजर आने लगा है।
अब भात एक अंतरिक्ष क्षेत्र में एक और कदम आगे बढ़ाने जा रहा है, जो हर किसी के लिए किसी मिसाल की तरह होगा। अंतरिक्ष सेक्टर में अब विक्रम-1 की खूब चर्चा की जा रही है। यह नीले रंग का होगा। माना जा रहा है कि इसे अगले साल शुरू में लॉन्च किया जा सकता है।
कंपनी ने इसे बीते साल भारत के पहले निजी तौर पर निर्मित रॉकेट विक्रम एस को लॉन्च करने किया था। इतना ही नहीं रॉकेट को सबऑर्बिटल स्पेस को भेजकर इतिहास बनाया था। इसरो हौसले अब काफी बुलंद हैं, जिसकी वजह कई बड़ी सफलता हैं।
विक्रम-1 का किया गया अनावरण
हैदराबाद के कंपनी स्काईरूट ने मंगलवार को सात मंजिला मल्टी-स्टेज लॉन्च वाहन विक्रम-1 का अनावरण किया गया। इसकी पेलोग क्षमता करीब 300 किलोग्राम है। इतना ही नहीं यह उपग्रहों को निचली पृथ्वी की कक्षा में रखने की क्षमता भी रखता है।
स्काई रूट के सह संस्थापक और सीईओ पवन कुमार चंदना के अनुसार, विक्रम-1 भारत का पहला ऑल कार्बन फाइबर बॉडी वाल कॉकेट है। यह 3डी प्रिंटेड लिक्विड इंजन से लैस है। वैसे पहला विक्रम-1 मिशन कमर्शियल होगा।
इसके अलावा स्काईरूट के कमर्शियल होने के साथ राजस्व हासिल करने से पहले आगामी 18 महीने में करीब 3 से 4 विक्रम 1 मिशन बढ़ाए जाना तय माना जा रहा है। इसके साथ ही साल 2018 में दो पूर्व इसरो वैज्ञानिक द्वारा स्थापित स्काईरूट अब तक 526 करोड़ रुपये जुटाने का काम कर चुका है।
जानिए विक्रम वन क्यों बना सबसे खास
विक्रम-1 सात मंजिला रॉकेट माना जाता है। इसके कई उपग्रहकों को कक्षा में पहुंचाने की क्षमता भी बनाए रखता है।
इसके अलावा 300 पेलोड को पृथ्वी की निचली कक्षा में पहुंचाने की क्षमता बनाए रखता है। वहीं, कार्बन-फाइबर ढाचे वाला रॉकेट भी है। इसके साथ ही विक्रम-एस रॉकेट के सफल लॉ्च के बाद यह दूसरा मिशन होगा। इसरो अब लगातार भारत का नाम ऊंचा करने में लगा है।