नई दिल्ली- हिमाचल प्रदेश के ऊपर आसमान से जो आफत बरस रही है वह ठीक वैसी ही है जैसे 10 साल पहले 17 जून 2013 को केदारनाथ हादसे के समय थी। हिमाचल प्रदेश के ऊपर तूफानी संगम हो रहा है।यह जानलेवा और खतरनाक मिश्रण है। जिसमें पश्चिमी विक्षोभ अरब सागर से उठकर राजस्थान से चलकर आती गर्म हवाएं और मानसूनी हवाएं मिल रही इसका घातक मिलन हो रहा है। हिमाचल प्रदेश के ऊपर जैसे केदारनाथ घाटी एक दशक पहले हुआ था।
भारतीय मौसम विज्ञान के मुताबिक मानसूनी हवाएं और पश्चिमी विक्षोभ का मिलन ही 2 दिन से हो रही बारिश और बाढ़ की वजह से है। ऐसी स्थिति में ही भयानक बारिश होती है जानलेवा और नुकसान देपाल और फ्लाइट फ्रॉड आते हैं पहाड़ तड़पते हैं। भूख अनल होता है। नदिया सुनामी जैसी भयावह लहरों के साथ तेज गति से चलती है।
बाएं से दाएं 10 जुलाई 2023 की सैटेलाइट तस्वीरों में हिमाचल प्रदेश के ऊपर दिख रहा है। मानसूनी हवा और पश्चिम विक्षोभ का संगम का नजारा है। दाहिने 17 जून को ऐसा ही नजारा केदारनाथ घाटी के ऊपर देखने को मिला था।
हैरानी इस बात की है इस बार पश्चिमी विक्षोभ के साथ उत्तरी अरब सागर से उठकर चलने वाली हवा भी मिल रही है। कि राजस्थान से होकर पश्चिम विक्षोभ से मिल गई। यह जरूर रुक गई है। हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर के ऊपर जैसे पिछली बार केदारनाथ घाटी में तबाही के बाद अब रुक गए थे। यह आफत वाली स्थिति है।
जुलाई के पहले 8 दिनों में बारिश और सबसे 10 फीसद कम थी लेकिन अब बारिश 243 मिलीमीटर उसकी जो सामान्य से दो पीछे ज्यादा है। पूरे देश में एक समान बारिश नहीं हो रही है। अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग तीव्रता के साथ बारिश हो रही है। पूर्वी और उत्तरी इलाकों में बारिश में 17 फ़ीसदी की कमी है यानी 454 मिली मीटर के बजाय 375 मिलीमीटर उत्तर भारत में 59 फीसद अधिक बारिश हुई है। यानी 125 मिलीमीटर की तुलना में 199 फीसद।
मध्य भारत में सामान्य बारिश 255 मिलीमीटर है। जो बढ़कर 264 मिली मीटर हो रही है। यानी 4 फीसद अधिक बारिश दक्षिण भारत में बारिश में कमी 45 से 27 फीसद हो चुकी है। जून के अंत तक पुरे देश में बारिश से 148 मिलीमीटर था यानी सामान्य से 10 फ़ीसदी कम मौसम विभाग ने पहले ही फोर कास्ट किया था कि जुलाई में बारिश सामान्य होगी यानी 94 से 106 ईसवी के आसपास उत्तर दक्षिण उत्तर पूर्वी और दक्षिण पूर्व प्रदीप भारत में बारिश के सामान से कम का अनुमान था।