दुकान की दिशा और प्रवेश द्वार
वास्तु शास्त्र के अनुसार दुकान के लिए सबसे शुभ दिशा उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) या उत्तर दिशा मानी जाती है। इससे दुकान में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और ग्राहक आसानी से आकर्षित होते हैं। दुकान का मुख्य द्वार हमेशा साफ-सुथरा और चौड़ा होना चाहिए ताकि समृद्धि का प्रवेश आसानी से हो सके। दरवाजे पर कोई रुकावट या टूटा हुआ बोर्ड नहीं होना चाहिए।
काउंटर और कैश बॉक्स की स्थिति
दुकान में काउंटर इस तरह रखें कि दुकानदार पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठे। यह स्थिति मन को शांत रखती है और निर्णय लेने की शक्ति बढ़ाती है। कैश बॉक्स को दक्षिण-पूर्व दिशा में रखें और उसका मुंह उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए। इससे धन का स्थायित्व बना रहता है और व्यर्थ खर्च से बचा जा सकता है।
लाइटिंग, रंग और सजावट का प्रभाव
दुकान के अंदर उजाले का विशेष ध्यान रखें। प्राकृतिक प्रकाश का अधिकतम उपयोग करें और कृत्रिम लाइटिंग भी पर्याप्त रखें ताकि दुकान जीवंत लगे। दीवारों पर हल्के रंग जैसे क्रीम, हल्का पीला या हरा शुभ माने जाते हैं। अधिक गहरे या काले रंगों से बचना चाहिए क्योंकि ये नकारात्मकता बढ़ाते हैं। सजावट में तुलसी का पौधा, लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति या स्वास्तिक चिन्ह का उपयोग सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाता है।
गोदाम और स्टोरेज एरिया की जगह
अगर आपकी दुकान में सामान का स्टोरेज भी है, तो उसे दक्षिण-पश्चिम दिशा में बनाना शुभ होता है। भारी सामान को पश्चिम या दक्षिण दिशा में रखना चाहिए। इससे दुकान का संतुलन बना रहता है और उधारी या घाटे की संभावना कम होती है। साफ-सफाई का ध्यान रखें क्योंकि अव्यवस्था से नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है।
ग्राहक बैठने की व्यवस्था और शीशे का उपयोग
ग्राहकों के बैठने की जगह उत्तर-पश्चिम दिशा में रखना फायदेमंद होता है, इससे वे जल्दी निर्णय लेते हैं। शीशे का इस्तेमाल उत्तर या पूर्व दीवार पर करना चाहिए, जिससे रोशनी का परावर्तन सकारात्मक प्रभाव देता है। दुकान में अनावश्यक आइटम्स या खराब इलेक्ट्रॉनिक सामान न रखें, ये रुके हुए व्यापार का संकेत देते हैं।