नई दिल्ली- 9 साल में राजस्थान सरकार किसानों को लुभाने के लिए बिल लेकर आई है। किसान कर्ज राहत आयोग बिल को 2 अगस्त को विधानसभा में पेश करके पारित करवाने की तैयारी की जा रही है। यह बिल पारित होने के बाद किसान कर्ज राहत आयोग बनाने का रास्ता साफ हो जाएगा।
आयोग बनने के बाद बैंक और कोई भी फाइनेंसियल संस्था किसी भी कारण से फसल खराब होने की हालत में कर्ज वसूली का प्रेशर नहीं बना सकेगा। किसान फसल खराब होने पर कर्ज माफी की मांग करते हुए इस आयोग में आवेदन कर सकेगा। आयोग से सरकार को किसानों के कर्ज माफ करने या सहायता करने के आदेश कभी भी जारी हो सकते हैं।
राज्य किसान कर्ज राहत आयोग में अध्यक्ष सहित पांच मेंबर होंगे हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज अध्यक्ष होंगे। आयोग में ए पी एस या प्रमुख सचिव रैंक पर रहे रिटायर्ड आईएएस जिला और सेशन कोर्ट के रिटायर्ड जज ब्रेकिंग सेक्टर में काम कर चुके हैं अफसर और एक एग्रीकल्चर एक्सपोर्ट को मेंबर बनाया जाएगा। सहकारी समितियों के एडिशनल रजिस्टर स्टार के अक्षर को इसका सदस्य सचिव बनाया जाएगा।
किसान कर्ज राहत आयोग का कार्यकाल 3 साल का होगा आयोग के अध्यक्ष और मेंबर का कार्यकाल भी 3 साल का होगा। सरकार अपने स्तर पर आयोग की अवधि को बढ़ा सकेगी और किसी भी मेंबर को हटा सकेगी।
किसान कर्ज राहत आयोग को कोर्ट जैसे पावर होंगे। अगर किसी इलाके में फसल खराब होती और इसकी वजह से किसान बैंकों से लिया हुआ कृषि कर्ज वापस नहीं कर पाते हैं तो ऐसी स्थिति में आयोग को उस किसान और क्षेत्र का संकट ग्रस्त घोषित करके उसे राहत देने का आदेश देने का अधिकार होगा।
कर्ज नहीं चुका पाने को लेकर अगर किसान आवेदन करता है। या आयोग खुद अपने स्तर पर समझता है। की हालत वाकई खराब है तो वह उसे संकटग्रस्त किसान घोषित कर सकता है संकटग्रस्त किसान का मतलब है। कि उसकी फसल खराबी की वजह से वह कर चुका पाने में सक्षम नहीं है। संकटग्रस्त किसान घोषित होने के बाद बैंक उस किसान से जबरदस्ती कर्ज की वसूली नहीं कर सकेगा।