नई दिल्लीः आपने देखा होगा कि ईडी कहीं जब रेड मारती है तो बड़ी संख्या में कैश बरामद होता है। कभी-कभी तो इतनी अधिक रकम होती है कि गिनने के लिए सरकारी मशीनों को लगाना पड़ता है, तब जाकर कई-कई घंटे में हिसाब लग पाता है। हाल ही में एक महाराष्ट्र में एक सर्राफा व्यापारी के पास 26 करोड़ रुपये कैश जब्त किया गया।
इसके बाद कई लोगों के मन में अनाप-शनाप सवाल उठने लगते हैं कि यह रकम कहां जाती हैं। लोगों का सीधा वर्ग तो यह भी सोचने लगता है कि क्या इस रकम को ईडी अपने घर ले जाएगी, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी ऐसा नहीं होता है।
किसी कारोबारी, नेता या बिजनेमैन के घर बड़ी मात्रा में कालाधन कैश बरामद किया जाता है उसे कैसे ठिकाने लगाया जाता है। अगर आपको नहीं पता तो हमारे आर्टिकल में आप आराम से नीचे जान सकते हैं, जिससे सब कंफ्यूजन खत्म हो जाएगा।
ईडी द्वारा जब्त रकम कहां जाती है?
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जब्त रकम कहां जाती है, आप आराम से जान सकते हैं। क्या आपको पता है कि ईडी इस रकम को सरकार के वेयरहाउस में रख देती है। कई बार जब्त किए गए पैसों को रिजर्व बैंक या फिर एसबीआई में सरकार के अकाउंट में डाल देती है। इससे पैसों के खराब होने या उन्हें नुकसान पहुंचने का किसी तरह का खतरा नहीं बना रहता है।
ईडी इन जब्त किए गए पैसों और संपत्तियों को अधिकतम 180 दिन तक स्वयं के पास रख सकती है। उसे अदालत में इन संपत्तियों से जुड़े आरोपों को सही साबित करना होता है। इसके बाद फिर यह सब पैसा ईडी सरकारी खजाने में भेज दिया जाता है। इस पैसों का सरकार जनकल्याण के लिए इस्तेमाल कर सकती है।
क्या वापस भी मिल सकती रकम?
आपको जानकर हैरानी होगी कि ईडी पर संपत्तियों से जुड़े आरोपो को 6 महीने के भीतर साबित करने का बड़ा दबाव बना रहता है। अदालत में आरोप सही साबित होने पर संपत्ति सरकार को भेज दी जाती है। इसके साथ ही मामला राज्य है तो राज्य सरकार और केंद्र से जुड़े मामले संपत्ति केंद्र सरकार के खजाने में पहुंचा दी जाती है।इसके साथ ही अगर ईडी इन आरोपों को साबित करने में नाकाम रही तो संपत्ति वापस उस व्यक्ति को देने का काम किया जाता है, जिससे बरामद होती है।