नई दिल्ली। वैशाख पूर्णिमा, जिसे बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima 2024) के नाम से भी जाना जाता है। हर साल बुद्ध पूर्णिमा का पर्व बड़े ही धूम – धाम के साथ मनाया जाता है।
इस साल , वैशाख पूर्णिमा 23 मई को है। इस दिन को दुनिया भर के बौद्धों द्वारा श्रद्धा और भक्ति के साथ इस फेस्टिवल को बड़े ही अच्छे तरीके से मनाया जाता है। बुद्ध पूर्णिमा का पर्व भगवान बुद्ध के जीवन की तीन महत्वपूर्ण घटनाओं – जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण – का स्मरण दिवस है।
बुद्ध पूर्णिमा का महत्व
बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह दिन भगवान बुद्ध की शिक्षाओं और उनके जीवन के सार को याद करने का अवसर प्रदान करता है। भगवान बुद्ध ने दुनिया को करुणा, प्रेम, अहिंसा और शांति का मार्ग दिखाया। उन्होंने बताया कि मोक्ष कैसे प्राप्त किया जा सकता है और जीवन में दुख से कैसे मुक्ति पाई जा सकती है।
बुद्ध पूर्णिमा की पूजा विधि
बुद्ध पूर्णिमा के दिन लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और भगवान बुद्ध की पूजा करते हैं। इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और दान-पुण्य भी करते हैं।
सबसे पहले भगवान बुद्ध की प्रतिमा को स्नान कराएं और उन्हें फूल, फल और मिठाई अर्पित करें।
पंचशील का पालन करने का संकल्प लें।
ध्यान करें और प्रार्थना करें।
गरीबों और जरूरतमंदों को दान दें।
अहिंसा और करुणा का पालन करें।
बुद्ध पूर्णिमा का इतिहास
आपको बता दें कि गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में लुम्बिनी, नेपाल में हुआ था। उनके पिता शुद्धोधन एक राजा थे और उनकी माता मायादेवी थीं। 35 वर्ष की आयु में, गौतम बुद्ध ने बोधगया में एक बोधि वृक्ष के नीचे ध्यान लगाकर ज्ञान प्राप्त किया। 80 वर्ष की आयु में, भगवान बुद्ध ने कुशीनगर में महापरिनिर्वाण प्राप्त किया।
वैशाख पूर्णिमा पर ना करें ये काम
नकारात्मक विचारों, क्रोध या आक्रोश को पालने से बचें।
शराब या किसी भी नशीले पदार्थ का सेवन ना करें।
इस दिन मांस या मछली का सेवन न करें।
भौतिक ज्यादतियों और विलासिता में लिप्त होने से बचें।
गपशप करने या बेकार की बातचीत करने में अपना समय बर्बाद ना करें।