Haryana News: हरियाणा सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए राज्य के शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने स्पष्ट किया है कि शिक्षा के अधिकार (आरटीई) के तहत गरीब बच्चों को दाखिला न देने वाले निजी स्कूलों की मान्यता रद्द की जाएगी। यह फैसला स्कूलों को इस कानूनी प्रावधान का पालन करने के लिए प्रेरित करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि सभी के लिए शिक्षा आसान हो।

क्या है आरटीई और इसका लाभ किसे मिलेगा?

शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) और विशेष श्रेणी के 6 से 14 वर्ष के बच्चों को निजी स्कूलों में मुफ्त शिक्षा का अधिकार मिलता है। इसमें एचआईवी पीड़ित बच्चों, युद्ध विधवाओं के बच्चों, विशेष जरूरतों वाले बच्चों और एससी, बीसीए, बीसीबी श्रेणियों के बच्चों को प्राथमिकता दी जाती है।

ऑनलाइन आवेदन और सीट आरक्षण

हरियाणा सरकार ने स्कूलों के लिए अपनी पहली प्रवेश कक्षा में ऑनलाइन आवेदन स्वीकार करना अनिवार्य कर दिया है। एससी के लिए 8%, बीसीए के लिए 4% और बीसीबी के लिए 2.5% सीटें आरक्षित करनी होंगी। इस प्रक्रिया से शिक्षा तक पहुंच अधिक व्यवस्थित और समावेशी हो जाएगी।

बच्चों के दाखिले के लिए तय की गई अंतिम तिथि को अब बढ़ाकर 25 अप्रैल 2025 कर दिया गया है। यह तीसरी बार है जब विभाग ने दाखिले की तिथि को बढ़ाया है, ताकि अधिक से अधिक बच्चों को दाखिला मिल सके।

3134 स्कूलों पर लटकी तलवार

हरियाणा के कुल 10,701 निजी स्कूलों में से 3,134 स्कूलों ने अभी तक अपनी सीटों का ब्योरा नहीं दिया है। इन स्कूलों को सरकार की ओर से चेतावनी दी गई है कि अगर वे नियमों का पालन नहीं करते हैं तो उनकी मान्यता रद्द की जा सकती है। शिक्षा के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाया गया है।

हरियाणा सरकार का यह सख्त कदम शिक्षा के क्षेत्र में एक कड़ा संदेश देता है कि शिक्षा सभी के लिए समान और सुलभ होनी चाहिए। इससे न केवल शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार आएगा, बल्कि समाज के हर वर्ग के बच्चों को शिक्षा के समान अवसर मिलेंगे।