नई दिल्ली: आधार कार्ड (Aadhaar Card) आपके आईडी प्रूफ के साथ-साथ सबसे ज़रूरी दस्तावेज़ बन गया है। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण यानी UIDAI 12 अंकों का आधार कार्ड जारी करता है। इसमें आपका सारा बायोमेट्रिक डेटा, नाम, पता, जन्मतिथि आदि दर्ज होता है। इस कार्ड से सरकारी सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं। भारत के हर लोगों के पास आधार कार्ड है। यूआईडीएआई नवजात शिशुओं के लिए आधार कार्ड बनाता है। आधार कार्ड को बाल आधार कार्ड या नीला आधार कार्ड कहा जाता है। नवजात बच्चे का आधार कार्ड जन्म प्रमाण पत्र और माता-पिता के आधार कार्ड के मदद से बनता है।
कार्ड बनके तैयार हो जाएगा
बच्चों के लिए आधार कार्ड सरकारी योजनाओं जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य कल्याणकारी योजनाओं में मदद करता है। बच्चों की पहचान के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जो स्कूल में दाखिला लेने, बैंक खाता खोलने और अन्य गतिविधियों के लिए जरूरी है। बच्चे का आधार कार्ड बनवाने के लिए जन्म प्रमाण पत्र, माता-पिता के आधार कार्ड का विवरण और उस अस्पताल का पत्र होना चाहिए जहां बच्चा पैदा हुआ था। इसके लिए सबसे पहले UIDAI की वेबसाइट यानी कि uidai.gov.in पर जाएं। रजिस्ट्रेशन के लिए आधार कार्ड रजिस्ट्रेशन पर क्लिक करें।
पैरेंटस को बच्चे के बारे में जानकारी देनी होगी, जैसे नाम, माता-पिता का फोन नंबर और बायोमेट्रिक डेटा। फॉर्म में घर का पता, समुदाय, राज्य आदि अन्य जानकारी देकर सबमिट करें। आगे की प्रक्रिया के लिए UIDAI सेंटर पर जाना होगा। UIDAI सेंटर पर बच्चे और उसकी पूरी जानकारी का सत्यापन कराना होगा। फिर इसके बाद बाल आधार कार्ड बनके तैयार हो जाएगा।
बायोमेट्रिक्स नहीं होती है
यूआईडीएआई के नियमों के मुताबिक, बच्चों के आधार कार्ड में दो बार बायोमेट्रिक अपडेट करवाना जरूरी है। पहली बार 5 साल की उम्र में और दूसरी बार 15 साल की उम्र में। इस प्रक्रिया को अनिवार्य बायोमेट्रिक अपडेट कहा जाता है। इसमें बच्चे की फोटो, फिंगरप्रिंट और आईरिस स्कैन को दोबारा दर्ज किया जाता है। आधार कार्ड की वैधता बनाए रखने और भविष्य में किसी भी तरह की परेशानी से बचने के लिए यह अपडेट जरूरी है। बता दें कि 5 साल से कम उम्र के बच्चों के आधार कार्ड में बायोमेट्रिक्स नहीं होती है।
उनका आधार पैरेंटस के दस्तावेजों के तौर पर बनता है। इसीलिए इसे बाल आधार कहा जाता है। जब बच्चा 5 साल का हो जाता है, तो फिंगरप्रिंट और आईरिस स्कैन को अपडेट करवाना जरूरी पढ़ जाता है. ऐसा बच्चों के शरीर में होने वाले बदलावों की वजह से होता है। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, उसके बायोमेट्रिक्स में भी बदलाव होने लगते हैं। इसलिए फिर 15 साल की उम्र में दोबारा बायोमेट्रिक्स अपडेट करवाना ज़रूरी होता है।
एडमिशन लेने में दिक्कत आ सकती
इस अपडेट में बच्चे के फिंगरप्रिंट, आईरिस स्कैन और नई फोटो लगाई जाती है। फिर इसको आधार कार्ड में तबदील कर दिया जाता है। 5 से 15 साल की उम्र के बच्चों के लिए आधार अपडेट करने की पूरी प्रक्रिया बिल्कुल फ्री है। इसे नजदीकी आधार केंद्र पर जाकर करवाया जा सकता है। अगर आप आधार कार्ड में कोई गलती सुधारने के लिए उसे अपडेट करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको कुछ शुल्क देना पड़ेगा। अगर आप बच्चे का आधार कार्ड अपडेट नहीं कराते हैं, तो बच्चे को स्कूल-कॉलेज में एडमिशन लेने में दिक्कत आ सकती है। उसे प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए आवेदन करने में दिक्कत आएगी । इतना ही नहीं उसे सरकारी योजनाओं का फायदा उठाने में दिक्कत आ सकती है और बैंक खाता खुलवाने में भी दिक्कत आएगी।
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