Tanot Mata Temple: आपने तनोट माता मंदिर के बारे में एक बहुत ही रोचक और ऐतिहासिक विवरण साझा किया है। यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि भारतीय वीरता और अद्भुत चमत्कारों की जीवंत मिसाल भी है। 1965 और 1971 के युद्धों में जब बम मंदिर पर गिरने के बावजूद नहीं फटे, तब से इसे “युद्ध वाली देवी” के रूप में पूजा जाने लगा। यह मंदिर भारतीय सेना और बीएसएफ के लिए श्रद्धा और प्रेरणा का केंद्र बन चुका है।

1. स्थान और पहुंच

तनोट माता मंदिर राजस्थान के थार रेगिस्तान में, जैसलमेर से लगभग 120 किमी दूर स्थित है। यह मंदिर भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा से केवल कुछ किलोमीटर की दूरी पर है। यहां पहुंचने के लिए विशेष परमिट की जरूरत होती है, क्योंकि यह संवेदनशील सीमा क्षेत्र में आता है।

2. देवी का स्वरूप

तनोट माता को हिंगलाज माता का अवतार माना जाता है, जो बलूचिस्तान (अब पाकिस्तान में) में स्थित है। मंदिर में विराजमान मूर्ति चमत्कारी मानी जाती है, और स्थानीय लोगों की अटूट आस्था है क माता अपने भक्तों की रक्षा करती हैं।

3. युद्ध और चमत्कार

1965 की जंग: पाकिस्तानी सेना ने भारी बमबारी की, लेकिन मंदिर परिसर में गिरे बम न फटे।

1971 की जंग: भारत की सेना ने इसी क्षेत्र में लोंगेवाला पोस्ट पर पाकिस्तानी टैंकों को मात दी, और इसे भी माता की कृपा माना गया। इस युद्ध पर बनी फिल्म ‘बॉर्डर’ में भी तनोट माता का उल्लेख है।

4. मंदिर और सेना का संबंध

आज मंदिर की देखभाल बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) करती है। हर दिन जवान यहां पूजा करते हैं और मंदिर परिसर को सेना की शैली में साफ-सुथरा और अनुशासित बनाए रखते हैं। यह मंदिर सैन्य आध्यात्म का एक अनोखा संगम है।

5. संग्रहालय और युद्ध स्मारक

मंदिर के भीतर एक छोटा संग्रहालय है जिसमें 1965 और 1971 के युद्ध में न फटे बम रखे गए हैं। इसके अलावा, विजय स्तंभ भी स्थापित किया गया है जो भारत की जीत और माता के चमत्कारों की याद दिलाता है।

6. पाकिस्तानी ब्रिगेडियर का दर्शन

ब्रिगेडियर शाहनवाज खान की माता में आस्था और मंदिर में उनका चांदी का छत्र चढ़ाना यह दर्शाता है कि आस्था सीमाओं से परे होती है।