Supreme Court: अगर आपने कहीं से लोन लिया है और EMI नहीं चुका पा रहे हैं तो सावधान हो जाइए, लोन की EMI नहीं चुकाने वालों के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Decision) ने बड़ा फैसला सुनाया है. कुल मिलाकर लोन की EMI समय पर चुकाना बेहतर है, वरना कई परेशानियां आपको घेर सकती हैं. सुप्रीम कोर्ट ने लोन की किस्त (लोन रीपेमेंट रूल्स) नहीं चुका पाने वालों के लिए कई अहम टिप्पणियां भी की हैं, आइए जानते हैं सुप्रीम कोर्ट का ये अहम फैसला.
कार फाइनेंसिंग से जुड़ा था मामला
इस मामले के मुताबिक साल 2013 में राजेश नाम के शख्स ने 1 लाख का डाउन पेमेंट करके फाइनेंस (कार फाइनेंसिंग रूल्स) पर महिंद्रा कार खरीदी थी. इस दौरान बची हुई रकम के लिए लोन लिया था, जिसकी EMI 12,531 रुपये थी. राजेश ने इस कार लोन की EMI 7 महीने तक तो समय पर चुकाई, लेकिन फिर कोई किस्त नहीं चुकाई. फाइनेंसिंग कंपनी (फाइनेंसिंग कंपनियों के लिए नियम) ने 5 महीने का समय भी दिया और किस्तों के भुगतान का इंतजार किया, लेकिन जब किस्तें नहीं मिलीं तो फाइनेंस कंपनी ने कार को अपने कब्जे में ले लिया। इसके बाद लोन धारक ने उपभोक्ता अदालत में मामला दायर किया।
उपभोक्ता अदालत ने यह दिया फैसला –
इसकी जानकारी मिलने पर लोन धारक ने फाइनेंसर के खिलाफ उपभोक्ता अदालत में मामला दायर किया। उपभोक्ता अदालत ने फाइनेंसर पर 2 लाख से अधिक का जुर्माना लगाया और कहा कि फाइनेंसर ने बिना कोई नोटिस दिए कार जब्त कर ली और ग्राहक को किस्त (लोन ईएमआई नए नियम) चुकाने का पर्याप्त मौका भी फाइनेंसर ने नहीं दिया।
फाइनेंसर ने यह दावा किया –
फाइनेंसर ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अपील कर न्याय की गुहार लगाई। दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पाया कि कार खरीदार ने खुद स्वीकार किया था कि उसने केवल 7 किस्तें ही चुकाई हैं।
फाइनेंसर (फाइनेंसर के लिए नियम) ने दावा किया कि उसने ग्राहक को एक मौका दिया था और 12 महीने बाद कार पर कब्जा कर लिया। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग द्वारा फाइनेंसर पर लगाए गए जुर्माने को रद्द कर दिया, लेकिन ग्राहक को नोटिस न देने के लिए फाइनेंसर को 15,000 रुपये का जुर्माना भी भरने का आदेश दिया।
लोन डिफॉल्टर का पक्ष सुना जाना चाहिए
लोन न चुकाने के एक अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि लोन अकाउंट को तब तक फ्रॉड घोषित नहीं किया जाना चाहिए, जब तक लोन धारक अपना पक्ष न रख दे। लोन धारक को बैंकों द्वारा अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाना चाहिए।
बैंकों द्वारा लोन डिफॉल्ट की कार्रवाई से उसका सिबिल स्कोर (CIBIL Score update) खराब हो जाता है। मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि लोन धारक का पक्ष सुने बिना बैंक उसके लोन अकाउंट को फ्रॉड या डिफॉल्टर घोषित नहीं कर सकते।
लोन अकाउंट को फ्रॉड घोषित करना एक बड़ा कदम-
लोन डिफॉल्ट होने पर एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया भी लागू की जाती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एफआईआर दर्ज करने से पहले लोन डिफॉल्टर घोषित करने (लोन डिफॉल्ट होने पर क्या करें) जैसे कदम उठाने की जरूरत नहीं है। एफआईआर दर्ज करने के बाद भी यह कदम उठाया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि लोन अकाउंट को फ्रॉड घोषित करना एक बड़ा कदम है। यह लोन धारक को ब्लैक लिस्ट करने जैसा है, इसलिए लोन धारक को एक मौका देना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने दो हाईकोर्ट के फैसलों पर विचार करने के बाद अपना फैसला सुनाया है।










