SPG And DGP: आपने अक्सर टीवी फिल्मों और खबरों में आर्मी जनरल और पुलिस विभाग में DGP के बारे में सुना होगा। ये दोनों ही पद अपने-अपने क्षेत्र में वरिष्ठ और ऊंचे पद हैं। आज हम आपको बताएंगे कि भारतीय सेना के आर्मी जनरल और पुलिस अधिकारी के DGP की शक्तियों में क्या अंतर है। हालांकि दोनों ही देश की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार हैं। आर्मी जनरल देश की बाहरी सुरक्षा देखते हैं, जबकि DGP आंतरिक सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होते हैं।
भारत के प्रधानमंत्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) के पास होती है। जिसे देश के सबसे संवेदनशील सुरक्षा बलों में से एक माना जाता है। SPG कर्मियों का वेतन उनके पद, अनुभव और सेवा अनुभव के आधार पर अलग-अलग होता है। SPG में तैनात अधिकारियों का वेतन सालाना 8 लाख रुपये से लेकर 12 लाख रुपये तक हो सकता है, जो उनके पद और अनुभव पर निर्भर करता है। हालांकि, SPG के उच्च पदों जैसे कि सुरक्षा प्रभारी या निदेशक का वेतन सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है क्योंकि यह जानकारी गोपनीयता के दायरे में आती है।
कौन कितना ताकतवर है
दरअसल, भारतीय सेना के जनरल और राज्य पुलिस के डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) दोनों ही अपने-अपने क्षेत्र में सर्वोच्च पद पर होते हैं, लेकिन उनकी शक्तियां, जिम्मेदारियां और प्रभाव अलग-अलग होते हैं। सेना के जनरल राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होते हैं और सीधे रक्षा मंत्रालय और राष्ट्रपति को रिपोर्ट करते हैं। युद्ध और सीमाओं की सुरक्षा में उनकी शक्तियां निर्णायक होती हैं। वहीं, डीजीपी राज्य की आंतरिक कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होते हैं और राज्य सरकार को रिपोर्ट करते हैं।
अगर ताकत की बात करें तो भारतीय सेना के जनरल डीजीपी से ज्यादा ताकतवर होते हैं, क्योंकि वे संप्रभुता और राष्ट्रीय रक्षा से जुड़े होते हैं। वहीं, डीजीपी किसी भी राज्य में पुलिस का सर्वोच्च पद होता है, जो सीधे गृह सचिव और राज्य के मुख्यमंत्री को रिपोर्ट करता है।
किसको कितनी सैलरी मिलती है
अगर सेना के जनरल और डीजीपी की सैलरी की बात करें तो भारतीय सेना के जनरल की सैलरी 2,50,000 रुपये प्रति महीने तक होती है। इसके अलावा उन्हें अन्य भत्ते भी मिलते हैं। जैसे सरकारी आवास, वाहन, सुरक्षा, चिकित्सा, कैंटीन की सुविधा, उच्च स्तरीय पेंशन। अगर भारतीय पुलिस के डीजीपी की बात करें तो एक डीजीपी की सैलरी 2,25,000 रुपये प्रति माह तक होती है। इसके अलावा उन्हें सरकार की तरफ से सरकारी बंगला, वाहन, सुरक्षा, चिकित्सा, डीए (महंगाई भत्ता), पेंशन भी दी जाती है।
