Income Tax: वित्त वर्ष 2025-26 शुरू हो चुका है और ITR यानी इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई 2025 है। ऐसे में टैक्सपेयर्स टैक्स बचाने के नए-नए तरीके तलाश रहे हैं। निवेश विकल्पों और कई अन्य टैक्स सेविंग टिप्स के अलावा सही टैक्स व्यवस्था चुनकर भी टैक्स बचाया जा सकता है।

अगर आप सैलरीड क्लास हैं तो आपकी कंपनी ने पूछा होगा कि क्या आपको किसी टैक्स व्यवस्था के तहत ITR दाखिल करना है। टैक्स व्यवस्था के हिसाब से आपका टैक्स कटता है। लेकिन सैलरीड क्लास के लोग इस बात को लेकर असमंजस में रहते हैं कि उनके लिए दोनों में से कौन सा विकल्प बेहतर है, नई टैक्स व्यवस्था और पुरानी टैक्स व्यवस्था।

इस साल के आम बजट में मोदी सरकार ने टैक्स से जुड़ी कई बड़ी घोषणाएं की हैं। सरकार द्वारा की गई टैक्स संबंधी घोषणाएं सैलरीड लोगों के लिए फायदे का सौदा है। सरकार ने नई टैक्स व्यवस्था में बड़ी राहत दी है। सैलरीड क्लास नई टैक्स व्यवस्था चुनकर काफी टैक्स बचा सकता है। दरअसल, नई कर व्यवस्था में पुरानी कर व्यवस्था के मुकाबले कर की दरें कम हैं।

बजट 2025 में सरकार ने कर मुक्त आय को 7 लाख रुपये सालाना से बढ़ाकर 12 लाख रुपये सालाना कर दिया है। इसका मतलब है कि अगर आपकी सालाना आय 12 लाख रुपये है तो आपको एक भी रुपये का टैक्स नहीं देना होगा। अगर आपकी सालाना आय 12 से 16 लाख रुपये है तो कमाई पर 5 से 15 फीसदी टैक्स देना होगा। वहीं अगर सालाना आय 24 लाख रुपये से ज्यादा है तो अधिकतम 30 फीसदी टैक्स देना होगा।

20 लाख रुपये से 24 लाख रुपये के बीच सालाना आय वालों को अधिकतम 25 फीसदी टैक्स देना होगा। जानिए सालाना आय पर कितना देना होगा टैक्स- अगर आपकी सालाना आय 16 लाख रुपये से 20 लाख रुपये के बीच है तो अधिकतम 20 फीसदी टैक्स देना होगा। 12 लाख से 16 लाख की आय वालों को अधिकतम 15 प्रतिशत टैक्स देना होगा। 8 लाख से 12 लाख के बीच की आय वालों को 10 प्रतिशत टैक्स देना होगा, वहीं, अगर आपकी आय 4 लाख से 8 लाख के बीच है तो 5 प्रतिशत टैक्स लगेगा। 4 लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं है।

पुरानी टैक्स व्यवस्था की बात करें तो जैसे ही सालाना आय 10 लाख रुपये से अधिक होती थी, 30 प्रतिशत की दर से टैक्स लगता था। इसलिए अगर दोनों में टैक्स स्लैब की तुलना करें तो नई व्यवस्था वेतनभोगी वर्ग के लिए बेहतर विकल्प है।

करदाताओं को 1,10,000 रुपये का फायदा होगा-

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी 2025 में देश का आम बजट (बजट 2025) पेश करते हुए सालाना 7 लाख रुपये की टैक्स फ्री आय की सीमा को बढ़ाकर 12 लाख रुपये कर दिया है। सरकार के इस फैसले से करदाताओं को नई व्यवस्था में 80,000 रुपये का टैक्स लाभ (यानी मौजूदा दर के अनुसार 100% छूट) मिलेगा। 18 लाख कमाने वालों को 70,000 और 25 लाख कमाने वालों को 1,10,000 का लाभ मिलेगा।

12.75 लाख तक की आय कर मुक्त –

वित्त मंत्रालय की 2 अगस्त, 2024 की अधिसूचना के अनुसार, 72 प्रतिशत से अधिक करदाता पहले ही आकलन वर्ष 2024-25 में नई कर व्यवस्था का विकल्प चुन चुके हैं। अब, जब 12 लाख रुपये तक की वार्षिक आय कर मुक्त (आयकर मुक्त सीमा) हो गई है, तो सीबीडीटी को उम्मीद है कि 90 प्रतिशत से अधिक करदाता नई कर व्यवस्था का विकल्प चुनेंगे।

नई कर व्यवस्था मानक कटौती में भी बड़ा लाभ देती है। पिछले साल इसे 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये किया गया था। पुरानी कर व्यवस्था में यह अभी भी 50,000 रुपये है। यह अतिरिक्त कटौती आपकी कर योग्य आय को और भी कम कर देती है।

नई कर व्यवस्था में आपको बहुत सी छूट मिलेंगी

हालांकि नई कर व्यवस्था में अधिकांश छूट हटा दी गई हैं, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण रियायतें अभी भी बनी हुई हैं। उदाहरण के लिए, आपके NPS (नेशनल पेंशन सिस्टम) में नियोक्ता द्वारा किया गया योगदान अब धारा 80CCD (2) के तहत 14 प्रतिशत तक की कटौती के लिए पात्र है, जो पहले 10 प्रतिशत था।

हालांकि, अगर आप पुरानी कर व्यवस्था के तहत धारा 80C (जैसे PPF और ELSS निवेश) या 80D (स्वास्थ्य बीमा) में भारी निवेश करते हैं, तो पुरानी कर व्यवस्था आपके लिए अधिक फायदेमंद हो सकती है। इसके बाद भी, गणना करना बहुत महत्वपूर्ण है। आयकर विभाग ने वेबसाइट पर टैक्स गणना की सुविधा प्रदान की है, जहां आप आसानी से जान सकते हैं कि आपको अपनी आय के अनुसार कितना टैक्स देना होगा।