पहली किश्त…
भारत बदल रहा है, जेएनयू में जहां भारत तेरे टुकड़े होंगे के नारे लगते थे वहां द केरला स्टोरी (The Kerala Story) का प्रीमियर हो रहा है। जयश्री राम के नारे लग रहे हैं। भौंडी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के कम पढ़े-लिखे या रटा-सिखा कर भेजे गए कठबिगड़े परजीवी (जी हां उन्हें जर्नलिस्ट कहने में हिचक है कुछ) डायरेक्टर सुदीप्तो सेन से सवाल पूछते हैं कि आपने एक धर्म के विरुद्ध फिल्म बना डाली है? इन अनपढ़-अनगढ़ों को नहीं मालूम कि भारत में कोई भी मूवी तभी रिलीज हो सकती है जब फिल्म प्रमाणन बोर्ड उसे यू, बी, एबी या सर्टिफिकेट न दे दे।द केरला स्टोरी (The Kerala Story) के लिए इस सर्टिफिकेट को हासिल करने के लिए डायरेक्टर-प्रोड्यूसर को कितने पापड़ बेलने पड़ते हैं, शायद नोएडा-दिल्ली के कर्मगार-शर्मचारों को मालूम ही नहीं है।
सुदीप्तो सेन ने भी वही झेला। कई सीन काटे-कई डायलॉग डिलीट किए।तब सीबीएफसी ने सर्टिफिकेट दिया। बंगाल से केरल सुदीप्तो क्यों आए…क्यों कि भारत बदल रहा है।
बहरहाल, जेएनयू से निकलते समय सुदीप्तो के सामन जैसा ही सवाल आया वैसा ही तपाक से जवाब भी मिला, क्या आतंकवाद का भी कोई धर्म होता है? हमने तो आतंकवाद पर फिल्म बनाई है!… इसके बाद कुछ पलों के लिए सन्नाटा छा जाता है। फिर एक कौने से सवाल आता है, कोर्ट ने कुछ कहा है, डायरेक्टर फिर कहता है, मैं बिजी था, आपको मालूम होगा, कोर्ट ने जो कुछ कहा होगा सही कहा होगा।
द केरला स्टोरी (The Kerala Story) के डायरेक्टर से पहले भोगी मीडिया की हवा फिल्म की एक्ट्रेस निकाल चुकी थी। एक्ट्रेस ने बताया कि दादा (डायरेक्टर) ने सात साल रिसर्च की है। हम उन विक्टिम्स से मिले हैं। हमने फिल्म में दिखाया है। प्यार की आड़ में विक्टिम्स की भावनओं से खिलबाड़ किया। उन्हें आतंकवाद की अंधी सुरंग में धकेल दिया। एक्ट्रेस ने भोगी मीडिया को बताया कि वो नेटिव केरेलाइट है। बम्बई में रहती है और आपसे ज्यादा शुद्ध सरल और सहज हिंदी बोलना जानती है।
भारत बदल रहा है.. इस बार ऑस्कर में मुंबई की झुग्गियों में रहने वाले करोड़पति कुत्ते (स्लम डॉग मिलेनियर) को नहीं साउथ की फिल्म आरआरआर को मिलता है। ‘द केरल स्टोरी’ की एक्ट्रेस अदा शर्मा मां और दादी दोनों मलयाली हैं। वो भी मलयाली है। फिल्म के ट्रेलर के बारे में तो आपको पता ही होगा नर्स बनकर मानव सेवा करने की चाह रखने वाली हजारों हिंदू और क्रिश्चियन लड़कियों को लव जिहाद में फंसाया जाता है। उनका ब्रेनवॉश किया जाता है और फिर आईएसआईएस में भर्ती करवा दिया जाता है।
इतना तो आप पढ़-सुन और देख चुके ही हैं।
हम तो बात कर रहे थे कि भारत बदल रहा है। जी हां, जहां जेएनयू में यह घटना हुई वहीं डीयू यानी दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रतिबंधित बीबीसी डॉक्यूमेंटरी का शो हुआ। शो के बाद क्या हुआ यह कम लोगों को पता होगा। शो का आयोजन करने वाले कांग्रेस समर्थित दल के छात्र नेता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होती है। डीयू प्रशासन कथित छात्र नेता को डीबार्ड कर देता है। उनके एक्गजामिनेशन देने पर रोक लगा देता।
उक्त छात्र नेता माफी मांगते हैं। वकील अदालत में ‘लड़के हैं गलती हो ही जाती है’ की तर्ज पर बचाव करते हैं। अदालत कहती है, अभी कुछ दिन रुकिए…लाइन में आपसे ज्यादा ज़रूरी मुक़दमे हैं।
भारत बदल रहा है। भारत बदलने की शुरुआत दक्षिण से हुई है। यह शुभ संकेत है। हां, बदला हुआ भारत दिखाने की हिम्मत तो विवेक अग्निहोत्रि, पल्लवी जोशी, अनुपम खेर, मिथुन चक्रवर्ती की फिल्म द कश्मीर फाइल्स से ही मिली है न! कुछ लोग इस बात सहमत हो सकते हैं कुछ नहीं भी लेकिन एक छोटी शलवार-बड़ा कुर्ता और जालीदार टोपी वाला एक वर्ग ऐसा है उसे द कश्मीर फाइल्स और द केरल स्टोरी दोनों से असहत है। अब आजादी खतरे में होगी…लोकतंत्र खतरे में होगा
(जारी)