होलिका दहन का त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, 13 मार्च को रात 11 बजकर 26 मिनट के बाद होलिका दहन किया जाएगा। होलिका दहन से पहले घर की महिलाएं और पुरुष मिलकर होलिका की पूजा करते हैं। होलिका पूजन के पीछे नकारात्मक शक्तियों पर नियंत्रण और उनसे बचाव एक अहम कारण माना जाता है।

कल मनाया जायेगा होली

होलिका दहन के अगले दिन 14 मार्च को रंगों की होली खेली जाएगी. इस दिन घर की बहू को सुबह उठकर कुछ खास काम जरूर करने चाहिए, इससे जीवन में सुख-समृद्धि और तरक्की के रास्ते खुलते हैं और परिवार में खुशहाली आती है। होली यानी धुलेंडी के दिन घर की बहू स्नान आदि करने के बाद सबसे पहले बड़ों का आशीर्वाद लेती है और फिर जहां होलिका दहन की पूजा हुई थी वहां से कुछ राख लेकर आती है। इस राख को घर के मुख्य द्वार पर छिड़कें। माना जाता है कि इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश नहीं कर पाती है।

मेन गेट पर करें ये काम

होली के दिन घर के मुख्य द्वार पर गुलाल छिड़कें और उस पर दोमुखी दीपक जलाएं। इसके बाद गणपति जी, श्री कृष्ण, शिव जी और सभी देवी-देवताओं के चरणों में गुलाल अर्पित करें। घर की बहू लक्ष्मी होती है. परिवार की सुख-समृद्धि के लिए होली के दिन ये काम बहुत लाभकारी माना जाता है। होली के दिन घर की विवाहित महिलाओं को माता पार्वती को सिन्दूर के साथ लाल रंग का गुलाल चढ़ाना चाहिए और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करनी चाहिए। राधा रानी को भी गुलाल अर्पित करें. सुखी वैवाहिक जीवन के लिए यह उपाय कारगर माना जाता है। रंगों की होली खुशियों और प्यार का त्योहार है। इस दिन अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को मिठाई खिलाएं। रिश्तों में मधुरता बढ़ती है.

 

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