Nandi Puja Niyam: सनातन धर्म सबसे अधिक प्राचीन धर्मों में से एक है ये तो सभी जानते ही होंगे। वहीं, सदियों से परम्परा चली आ रही है कि नंदी जी के कानो में अपनी इच्छाओं को व्यक्ति करना और उनसे मनोकामना मांगना कि इन सभी इच्छाओं कि पूर्ती के लिए भगवान शक्ति दें।
आपने भी ये देखा होगा कि नंदी जी भगवान शिव जी के हर मंदिर के बाहर स्थापित किए जाते हैँ। वहीं, शिव भक्त पहले शंकर और माँ पार्वती जी कि विधि विधान से पूजा करते हैँ फिर नंदी जी के कानों में अपनी मनोकामना बताते हैँ। सदियों से ये कहा जाता है कि भगवान नंदी भगवान शिव जी तक सन्देश को पंहुचाते हैँ।
जानिए कि क्यों कही जाती है नंदी जी के कान में मनोकामना
दरअसल, बताते चले कि इस परम्परा के पीछे एक नहीं बल्कि कई सारी पौराणिक कथा चली आ रही है। यदि एक कथा के अनुसार मानें तो भगवान शिव जी ने नंदी महराज को ये वरदान दिया था कि जो भी व्यक्ति उनके कान में सच्चे दिल से मनोकामना व्यक्त करेगा, उनकी सभी इच्छा जरूर पूरी होगी। दरअसल, भगवान नंदी को भगवान शिव का परम भक्त और साथ ही उनका सन्देश वाहक माना जाता है। इसलिए सभी भक्तों का ये मानना होता है कि नंदी जी भगवान भोलेनाथ तक उनकी बातों को पंहुचा देंगे और फिर उनकी सभी इच्छाएं पूरी हो जाएंगी।
जानिए कि कैसे कहें नंदी जी के कानों में मनोकामना?
नंदी भगवान के कान में मनोकामना कहना का एक सर्वोत्तम तरीका ये है जो हम आपको आगे बताने जा रहे हैँ। कहते हैँ कि मनोकामना हमेशा नंदी जी के बाएं कान में मांगे और मांगते समय अपने दोनों हाथ से कान को ढक दें। इतने धीरे से बोलें या मन में सोचें कि आपकी बात बस नंदी जी तक पहुचे और उसे कोई और न सुन पाए। इस बात का भी खास रूप से ध्यान रखें कि नंदी जी के कान में किसी कि बुराई न करें या किसी भी व्यक्ति के लिए अपशब्द न कहें।
समझ लें कि क्या है परम्परा के पीछे का रहस्य
दरअसल, नंदी जी के कानों में अपनी बात रखने कि परम्परा बीते कई सदियों से चली आ रही है। वहीं, इस परम्परा के रहस्य कि बात करें तो वो ये है कि ये भक्तों को आशा और विश्वास कि भावना प्रदान करती है। वहीं, ये एक तरह से सांस्कृतिक धरोवर भी है जो कि एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक चली आ रही है।