बीमा कंपनियों ने हेल्थ इंश्योरेंस में बदलाव कर दिया है और अब ऐसे इलाज को कवर कर रही हैं, जिसमें क्लेम कवर के लिए मरीज को सिर्फ दो घंटे के लिए ही अस्पताल में भर्ती होना पड़ेगा। अब मरीज को 24 घंटों के लिए अस्पताल में भर्ती नहीं होना पड़ेगा।
क्यों बीमा कंपनियां बदल रही हैं नियम
हेल्थ इंश्योरेंस के प्रमुख सिद्धार्थ सिंघल का कहना है कि, पिछले 10 सालों में मेडिकल तकनीक में काफी विकास हुआ है, जिसे इलाज और सर्जरी में काफी बदलाव आया है।
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कुछ समय पहले कैटरैक्ट, कीमोथेरेपी और एंजियोग्राफी जैसी प्रक्रिया के लिए पूरी रात रुकना होता था। पर अब minimally invasive तकनीकों और बढ़िया डायग्नोस्टिक्स की वजह से ये उपचार कुछ ही समय हो जाता है। इसकी वजह से बीमा कंपनियां नियमों को बदल रही हैं।
पॉलिसी में शॉर्ट-स्टे कवरेज भी शामिल
कई बीमा कंपनियों की तरफ से पॉलिसी को बदला गया है और कम समय के लिए अस्पताल में भर्ती को कवरेज में शामिल किया गया है। सिंघल का कहना है कि कई पॉलिसी को महज दो घंटे के हॉस्पिटलाइजेशन पर बीमा कंपनियां क्लेम स्वीकार कर लेती हैं।
किन योजनाओं में मिल ही है सुविधा
ICICI लोम्बार्ड का Elevate प्लान
CARE हेल्थ का Supreme प्लान
Niva Bupa का Health ReAssure प्लान
आप इसे ऐसे समझें- अगर कोई 30 साल का व्यक्ति धूम्रपान न करता हो और वो मेट्रो शहर में रहता हो तो 10 लाख के बीमा पर सालाना प्रीमियम ICICI लोम्बार्ड Elevate प्लान में 9,195 रुपये, CARE Supreme में 2,790 रुपये और Niva Bupa Health ReAssure में 14,199 रुपये जमा करने होंगे।
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क्या हैं हेल्थ इंश्योरेंस लेने वाले के अधिकार
हेल्थ इंश्योरेंस लेने वाले के अधिकार की बात करें तो वह पॉलिसी के अंतर्गत तय कवरेज के मुताबिक इलाज और क्लेम का फायदा लें। बीमाधारक के पास कैशलेस सुविधा, नेटवर्क अस्पताल चुनने का ऑप्शन, क्लेम रिजेक्ट होने की स्थिति में कारण जानने और अपील करने जैसे अधिकार होते हैं। इसके साथ ही बीमाधारक के पास पॉलिसी रिन्यूअल, पोर्टेबिलिटी और फ्री-लुक पीरियड का लाभ लेने का अधिकार होता है।










